राष्ट्रीय (19/10/2012) 
जैव-विविधता सम्मेलन,पर्यावरण के लिए खतरों की पहचान

हैदराबाद में सम्पन्न दो दिन के जैव-विविधता सम्मेलन ने पर्यावरण को विभिन्न प्रकार के खतरों की पहचान की है। इस सम्मेलन में अन्य लोगों के अलावा पर्यावरण और वन, मंत्री  जयंती नटराजन भी शामिल हुईं। देश विदेश के 120 पक्षकार और प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए। दो दिन के विचार-विमर्श के दौरान इन लोगों का कहना था कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचने से लोगों की जीविका को नुकसान पहुंचता है जिसके परिणामस्वरूप गरीबी बढ़ती है। पक्षकारों ने इस बात पर संतोष जाहिर किया कि वनों, समुद्री तटों और संरक्षित इलाकों को बचाने के उपायों से अइची लक्ष्यों की प्राप्ति में प्रगति हुई है। उन्होंने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले खतरों की पहचान की।

पर्यावरण संरक्षण और जैव-विविधता बनाये रखने से संबंधित गतिविधियों के बारे में सम्मेलन ने इस बात पर ध्यान दिया कि राष्ट्रीय और उपराष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय स्तरों पर शुरू किये गए विशेष कार्यक्रमों तथा ग्रामीण लोगों में विद्यमान परंपरागत ज्ञान को लेखबद्ध किया जाना चाहिए। साथ ही इस बात पर जोर दिया गया कि नये-नये जैव तकनीकी उपाय अपनाते समय जैव-विविधता का ध्यान रखा जाना चाहिए।

नगोया प्रोटोकॉल के पुष्टिकरण के बारे में सम्मेलन ने पुष्टिकरण की प्रक्रिया जल्दी पूरी करने और इसके लिए राजनीतिक पहल करने का आग्रह किया। इसके लिए सम्मेलन ने नये और अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों और तकनीकी सहायता की जरूरत बताई ताकि क्षमता निर्माण किया जा सके। सम्मेलन ने चार समितियां गठित कीं जिन्होंने अपनी-अपनी सिफारिशें पेश कीं। सुझाव दिया गया कि संयुक्त राष्ट्र अपनी देख-रेख में पर्यावरण रक्षा के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र स्थापित करे।

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