राष्ट्रीय (26/10/2012) 
2011 के दौरान प्रति 1,000 जीवित जन्म पर शिशु म़ृत्यु दर घटकर 44 हुई

2011 के दौरान शिशु मृत्यु दर(आईएमआर) 3 अंक घटकर 47 से 44 मृत्यु प्रति 1,000 जीवित जन्म हो गई। भारत के महापंजीयक(आरजीआई) द्वारा जारी नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) के अक्तूबर, 2012 के बुलेटिन के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों की आईएमआर 3 अंक घटकर 51 से 48 मृत्यु प्रति 1,000 जीवित जन्म और शहरी दर 31 से घटकर 29 प्रति 1,000 जीवित जन्म हो गई।

राज्यों में सबसे कम आईएमआर गोवा और मणिपुर में 11 शिशु मृत्यु दर पर रही, जबकि केरल में 12 शिशु मृत्यु दर प्रति 1,000 जीवित जन्म रही। मध्यप्रदेश में सर्वाधिक आईएमआर 59/1,000 रही उसके बाद उत्तरप्रदेश और ओडिशा में यह 57/1,000 रही। असम, छत्तीसगढ़, ओडिशा, राजस्थान और मेघालय में आईएमआर राष्ट्रीय औसत 44 से अधिक रही।

उल्लेखनीय है कि नमूना पंजीकरण प्रणाली राष्ट्रीय और उपराष्ट्रीय स्तरों पर जन्म दर, मृत्यु दर और अन्य प्रजनन और मृत्यु दर के संकेतकों के विश्वसनीय वार्षिक अनुमानों को उपलब्ध कराने के लिए बड़े पैमाने का जनसांख्यिकीय सर्वेक्षण है। क्षेत्रीय जांच में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और शिक्षकों द्वारा चयनित नमूना इकाई में होने वाले जन्म और मृत्यु की लगातार गणना की जाती हैं। एसआरएस पर्यवेक्षकों द्वारा भी प्रत्येक छह माह में स्वतंत्र सर्वेक्षण किया जाता है। इन दो स्वतंत्र कार्यकर्ताओं द्वारा उपलब्ध आंकड़ों की तुलना की जाती है। जिन बातों का मिलान नहीं होता, उनका क्षेत्र में पुन: सत्यापन किया जाता है। इस प्रकार जन्म और मृत्यु के सही आंकड़े प्राप्त किये जाते हैं। नवीनतम जनगणना ढांचे के आधार पर एसआरएस नमूनों को प्रत्येक 10 वर्ष के बाद बदल दिया जाता है। वर्तमान में एसआरएस देश के सभी राज्यों और केन्द्रशासित राज्यों की 7597 नमूना इकाईयों (4,433 ग्रामीण और 3,164 शहरी) में परिचालित है और 1.5 मिलियन परिवार तथा 7.35 मिलियन जनसंख्या इसमें शामिल हैं।

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