राष्ट्रीय (28/02/2013) 
आम बजट में दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार-विजय गोयल

  यूनियन बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय जनता पार्टी दिल्ली प्रदेश  के अध्यक्ष  विजय गोयल ने कहा कि दिल्ली के लिए मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अपनी ही केन्द्र की कांग्रेस सरकार से कुछ नहीं ले पाई। पिछले 10 साल से जो 325 करोड़ का प्लान एक्सपेंडिचर का बजट था, वह वैसा का वैसा है। एक पैसा भी उसमें केन्द्र सरकार से नहीं ले पाई। सुना जाता है कि उन्होंने 3500 करोड़ रूपया मांगा था।

विजय गोयल  ने मांग की कि जब तक दिल्ली को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा, तब तक केन्द्र सरकार इसी तरह से दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार करती रहेगी। यदि आज दिल्ली को राज्य का दर्जा मिलता तो सेंट्रल टैक्स में दिल्ली में दिल्ली का भी शेयर आ सकता था।

बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली मंे पहले ही सर्किल रेट बहुत हैं और 50 लाख से ऊपर की सम्पत्ति खरीदने-बेचने पर 1 प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स लाद दिया गया, उससे और महंगाई होगी। आज 50 लाख रूपये में 2 कमरों का फ्लैट भी नहीं आता है। पिछले दिनों सैट अप बाॅक्स लगाने के लिए दिल्ली की जनता को बाध्य किया गया और अब सैट टोप बाक्स का टैक्स बढ़ाकर 5 से 10 प्रतिशत कर दिया गया। मार्बल पर 60 प्रतिशत टैक्स बढ़ाने से निर्माण लागत और बढ़ जाएगी। आज मध्यम वर्गीय लोग भी 2000 रूपए से ऊपर तक के मोबाइल फोन रखते हैं, उस पर टैक्स 6 प्रतिशत कर दिया गया।

 गोयल ने कहा कि बजट से पहले ही रेल किराया, बिजली के दाम, पेट्रोल, सीएनजी, घरेलू गैस, पानी के दाम बढ़ा दिए गए थे। दिल्ली और देश  की जनता आशा  कर रही थी कि जो लोग महंगाई के तले दबे हैं उन्हें इस बजट से कुछ राहत मिलेगी परन्तु यह दिल्ली और देशवासियों पर बजट की दोहरी मार है। लोगों को उम्मीद थी कि व्यक्तिगत आय कर में छूट मिलेगी, पर बजट ने उन्हें निराश  किया है। जबकि प्रत्येक व्यक्ति के वेतनों में बढ़ोत्तरी और महंगाई भत्ता मिलता है फिर भी इस बजट में उन्हें  कोई छूट नहीं दी गई। वित्त मंत्री ने भी मान लिया कि दिल्ली में अब महिलाएं सुरक्षित नहीं है, तभी तो उन्हांेने मजबूरन निर्भया फंड जारी किया।  कुल मिलाकर देखें तो इस बजट में बढ़ती हुई महंगाई से आम आदमी को कोई छूट नहीं मिली है। सिर्फ इस बजट में एक उपलब्धि हुई है, वह यह कि सरकार ने अपनी कमियों को स्वीकार किया है। लोगों का शासन की नीतियों में विवास कम हुआ है। जैसा कि भारत में व्यापार करने के लिए बहुत मुिकलें हैं। युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर इस बजट में बिल्कुल नहीं खुल रहे हैं।

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