राष्ट्रीय (16/04/2013) 
व्यापारियों,किसानों, हाकर्स और आर्थिक विशेषज्ञों द्वारा प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप की मांग

भारत सरकार द्वारा यूरोपियन यूनियन के साथ मुक्त व्यापार समझौते को देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए बेहद ख़राब बताते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) सहित किसानों, हाकर्स के नेताओं और आर्थिक विशेषज्ञों ने आज नई दिल्ली में आयोजित एक संवाददाता सम्मलेन में केंद्र सरकार से इस समझौते के मसविदे को संसद में रख इस पर खुली चर्चा कराने और प्रधानमंत्री के इस मामले में सीधे हस्तक्षेप की मांग की है ! इस समझौते के प्रारूप को तैयार करने में सरकार ने अब तक लोकतान्त्रिक प्रक्रिया की अनदेखी का सीधा आरोप भीसरकार पर लगाया है !कैट सहित अन्य वर्गों के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल संसद के चालू सत्र के दूसरे सत्र जो आगामी 22 अप्रैल से शुरू हो रहा है में यह विषय प्रमुखता से उठाये जाए इस हेतु एक प्रतिनिधिमंडल सभी राजनैतिक दलों के शीर्ष नेताओं से मिलेगा और प्रधानमंत्री से भी मिलने का समय मांगेगा ! यह मामला सीधा देश हित से जुड़ा है और इसका विरोध करने हेतु कोई कसर नहीं छोड़ी जायेगी !

 

जिस प्रकार से मीडिया में इस मुद्दे पर ख़बरें आ रहीं है उनको देखते हुए साफ़ दिखाई देता है यह समझौता देश के रिटेल व्यापार सहित अन्य प्रमुख सेक्टरों ऑटोमोबाइल, फार्मास्युटिकल्स, कृषि, लघु एवं माध्यम उद्योग सहित अनेक वर्गों के हितों के विरुद्ध होगा! सरकार आज तक यह बता पाने में असफल रही है है की इस समझौते से देश को क्या लाभ होगा !

 

युरोपियन संसद में हाल ही में एक सवाल के जवाब में यूरोपियन कमीशन ने कहा की रिटेल सेक्टर भी मुक्त व्यापार समझौते का हिस्सा है! यदि रिटेल व्यापार को इस समझौते का हिस्सा बना दिया तो सरकार भविष्य में रिटेल ऍफ़ डी आई पालिसी में कोई परिवर्तन नहीं कर पाएगी !

 

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री  प्रवीन खंडेलवाल ने  कहा इस मुक्त व्यापार समझौते में सरकार का नजरिया शुरू से ही बेहद संदेहास्पद रहा है और आज तक सरकार यह नहीं बता पाई की इस समझौते से देश की अर्थव्यवस्था और नागरिकों को क्या लाभ होगा !यह फैसला देश भर पर जबरदस्ती थोपा जा रहा है इसलिए अब सरकार को इस समझौते को अमली जामा नहीं पहनना चाहिए ! इस समझौते की नए सिरे से समीक्षा की बेहद जरूरत है ! !गौरतलब है की वाणिज्य मंत्रालय की स्थायी समिति ने एक मत से सरकार से आग्रह किया था की चूँकि यह मामला समिति के विचाराधीन है इस लिए इस समझौते को फ़िलहाल जल्दबाजी में न किया जाए और समिति की रिपोर्ट आने तक इसको रोका जाये !

 

भारतीय किसान मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री नरेश सिरोही ने कहा की इस समझौते में कृषि उत्पादों को भी जोड़ा गया लेकिन यूरोपियन यूनियन द्वारा कृषि उत्पादों पर दी जा रही भारी सब्सिडी से  भारतीय उत्पादों को कैसे बचाया जाए! समझौते की इस शर्त से देश में यूरोपियन कृषि उत्पादों की भरमार हो जायेगी और विश्व व्यापार संगठन में कृषि पर भारत का स्टैंड कमजोर होगा !

 

भारतीय किसान यूनियन के महामंत्री श्री युधवीर सिंह ने कहा की सरकार और किसान संगठनों के बीच 19 मार्च, 2013 को हुए एक समझौते में सरकार ने कृषि पर मुक्त व्यापार समझौते की समीक्षा के लिए एक समिति बनाने का आश्वासन दिया था लेकिन इसके ठीक उलट सरकार ने मुक्त व्यापार समझौते में कृषि उत्पादों को शामिल किया है !

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