राष्ट्रीय (18/04/2013) 
प्रदेश में स्थापित किए जाएंगे 2000 हैंडपम्पः वीरभद्र सिंह

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार प्रत्येक घर को पर्याप्त एवं स्वच्छ पयेजल उपलब्ध करवाने तथा किसानों को सिंचाई सुविधाएं सुनिश्चित बनाने के प्रति कृतसंकल्प है। मुख्यमंत्री आज यहां सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में इस वित्त वर्ष के दौरान 2500 बस्तियों को 70 एलपीसीडी पेयजल सुविधा प्रदान की जाएगी तथा सूखा प्रभावित बस्तियों में 2000 हैंडपंप स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य के लगभग 90 प्रतिशत परिवार नल के माध्यम से पानी का उपयोग कर रही हैं तथा प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2017 तक राज्य की सभी बस्तियों को पेयजल सुविधा प्रदान जाएगी।
 वीरभद्र सिंह ने कहा कि शिमला शहर राज्य की राजधानी है और सरकार यहां पर्याप्त पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित बनाएगी। शिमला के लिए कोल बांध जलाशय से उठाऊ पेयजल योजना प्रस्तावित है। इस योजना का निर्माण 515.89 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किया जाएगा, जिसकी प्रस्तावित क्षमता 68.84 एमएलडी होगी और यह योजना वर्ष 2047 वर्षों तक लगभग 8 लाख जनसंख्या की पेयजल आवश्यकता की पूर्ति करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार कमांद क्षेत्र के विकास को भी सर्वोच्च प्राथमिकता देगी ताकि योजनाओं का लाभ सिंचाई के लिए किसानों तक सुनिश्चित हो सके। सरकार लघु सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण पर विशेष बल दे रही है तथा इस वर्ष 3000 हैक्टेयर भूमि को लघु परियोनाओं के अन्तर्गत लाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, 1500 हैक्टेयर भूमि को बड़ी व मध्यम सिंचाई योजनाओं के अन्तर्गत लाया जाएगा।
 वीरभद्र सिंह ने कहा कि कांगड़ा जिला के सैली से धरनी रिरकुमार, हथौर कुहल के निर्माण के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश जारी किए गए है। ब्यास नदी के तटीकरण का कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा, जिसके लिए सीडब्ल्यूपीआरएस, पूणे के माध्यम से माॅडल स्टडी करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आगामी वर्ष के अंत तक मनाली ग्रामीण क्षेत्र के लिए मलनिकासी योजना का विस्तार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिले के महत्वकांक्षी शाहनहर बड़ी सिंचाई योजना तथा सिद्धाता मध्यम सिंचाई परियोजना इस वर्ष बनकर तैयार हो जाएगी। उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिले के नूरपुर तहसील के अन्तर्गत फिना सिंह मध्यम सिंचाई

परियोजना के लिए 55 करोड़ रुपये की धनराशि का प्रावधान किया गया है जबकि नादौन मध्यम सिंचाई परियोजना के निर्माण पर 35 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय की जाएगी।
सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री श्रीमती विद्या स्टोक्स ने इस अवसर पर कहा कि विभाग में सभी क्रियाशील पदों को प्राथमिकता पर भरा जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने वाटर गार्डों के 500 पदों को भरने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा, जिसे कृषि, बागवानी एवं मत्स्य उत्पादन के साथ जोड़ा जाएगा।
स्टोक्स ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण विभाग की प्राथमिकता है ताकि उनका लंबे समय तक सत्त दोहन किया जा सके। उन्होंने कहा कि लगभग 16.16 करोड़ रुपये की लागत से 331 वर्ष जल संग्रहण ढांचे तैयार किए गए हैं, जिनकी भण्डारण क्षमता 2.29 क्यूबिक मीटर है और 22.73 लाख क्यूबिक मीटर क्षमता के 291 ऐसे ढांचों का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है।
मुख्य सचिव एस. राय, मुख्यमंत्री के सलाहकार  टी.जी. नेगी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव  वी.सी. फारका, प्रधान सचिव वित्त डाॅ. श्रीकांत बाल्दी, प्रधान सचिव सूचना प्रौद्योगिकी श्री पी.सी. धीमान, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ  आर.के. शर्मा, मुख्य अभियन्ता एवं विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।

 

Copyright @ 2019.