राष्ट्रीय (24/04/2013) 
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के अन्तर्गत निःशुल्क उपचार पर 38.23 करोड़ रुपये व्यय
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के अन्तर्गत राज्य में 93,000 से अधिक स्मार्ट कार्ड धारकों को निःशुल्क उपचार सुविधा उपलब्ध करवाने पर 38.23 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं। कौल सिंह आज यहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जनवरी, 2013 से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के अतिरिक्त मनरेगा कार्यकर्ता, रेहड़ी-फड़ी वाले, भवन एवं अन्य निर्माण कार्यों में लगे कामगार व 70 प्रतिशत से अधिक अपंगता वाले व्यक्तियों को भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना शामिल किया गया है। 
कौल सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा गंभीर बीमारियों विशेषकर हृदय रोग से सम्बन्धित आप्रेशन जेनिटो यूरिनरी सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, रेडियशन आनकोलाजी, ट्रॅामा, ट्रांसप्लांट सर्जरी, स्पाइनल सर्जरी, सर्जिकल, गेस्ट्रोइंट्रोलाजी, हिमोफिलिया और कैंसर रोग से पीडि़त सभी स्मार्ट कार्डधारकों को 1.75 लाख रुपये की निःशुल्क उपचार सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज, शिमला, डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद राजकीय मेडिकल काॅलेज, टांडा और पीजीआई चंडीगढ़ को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना प्लस के अन्तर्गत सूची में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में यह योजना बीमा योजना के स्थान पर राज्य नाॅडल एजेंसी बीमा कम्पनी के माध्यम से चलाई जा रही है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सभी 12 जिलों में पांच सदस्यों वाले बीपीएल परिवारों को शामिल किया गया है। इसके तहत प्रति वर्ष अधिकतम 30 हजार रुपये तक का निःशुल्क उपचार उपलब्ध है। यह सुविधा किसी भी नजदीक के अस्पताल से प्राप्त की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक उपचार को भी योजना के अन्तर्गत लाया गया है और एक जनवरी, 2013 से इसके तहत 22 आयुर्वेदिक अस्पताल शामिल किए गए हैं। उन्होंने कहा कि स्मार्ट कार्डधारक देश भर के किसी भी एम्पैनलड अस्पताल में निःशुल्क उपचार करवा सकते हैं।

कौल सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के प्रति वचनबद्ध है और राज्य में वृहद स्वास्थ्य अधोसंरचना विकसित की गई है, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। उन्होंने कहा कि देश भर में प्रदेश का स्वास्थ्य सूचकांक बेहतर है और शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) घटकर 38 हो गई है। बाल लिगांनुपात में भी सुधार हुआ है और अब यह 914 तक पहुंच गई है। संस्थागत प्रसव दर 76 प्रतिशत हो गई है और प्रजनन दर घटकर 1.9 प्रतिशत तथा जन्म दर 16.9 प्रतिशत है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि साप्ताहिक आयरन एवं फाॅलिक एसिड स्पलीमेंटेशन कार्यक्रम में छठी से 12वीं कक्षा तक सरकारी स्कूलों में पढ़ रही किशोर लड़कियों व लड़कों को शामिल किया गया है। यह योजना हाल ही में आरम्भ की गई है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के अन्तर्गत सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे लगभग 7 लाख विद्यार्थियों को आयरन व फाॅलिक एसिड की गोलियां सप्ताह में एक बार अध्यापकों व सहायकों द्वारा दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक स्कूल में एक नोडल अध्यापक प्रशिक्षित किया जाएगा, जो रक्त की कमी से पीडि़त बच्चों को चिन्हित कर निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भेजेगा।
केन्द्रीय श्रम कल्याण महानिदेशक श्री अनिल स्वरूप ने इस अवसर पर कहा कि हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना को कार्यान्वयन करने में देश भर में अग्रणी राज्य बन कर उभरा है और अन्य राज्यों को भी हिमाचल प्रदेश के तरीके को अपनाना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के अन्तर्गत आयुर्वेद को लाने के लिए भी हिमाचल प्रदेश की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तरीके को राष्ट्रीय स्तर पर भी कार्यान्वित किया जाएगा।
प्रधान सचिव स्वास्थ्य अली रजा रिजवी ने स्मार्ट कार्ड को पूर्ण रूप से वैध बनाने की प्रक्रिया अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य बीमा योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ अवस्थी ने भी इस अवसर पर अपने विचार प्रकट किए।
इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज, शिमला के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. रमेश चंद, स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, लाभार्थी और प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए प्रतिभागियों ने कार्यशाला में भाग लिया।

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