राष्ट्रीय (10/06/2013) 
हिमाचल प्रदेश को कर्ज में डूबोने के लिए पूर्व सरकार जिम्मेवार
भाजपा सरकार ने पांच वर्ष में उठाए 9,110 करोड़ रुपये के ऋण....उद्योग, सूचना एवं जन सम्पर्क मंत्री  मुकेश अग्निहोत्री ने आज यहां कहा कि प्रदेश में विकास कार्यों तथा सरकार के अन्य दायित्वों की पूर्ति के लिए धन की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी विभागों को विकास कार्यों के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करवाई गई है तथा राज्य में विकास कार्यों को तीव्र गति से कार्यान्वित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि योजना आयोग ने वर्ष 2012-13 में 3700 करोड़ रुपये के मुकाबले वर्ष 2013-14 के लिए हिमाचल प्रदेश की वार्षिक योजना 4100 करोड़ रुपये स्वीकृत की है, जो पिछले वर्ष से 400 करोड़ रुपये अधिक है। उन्होंने कहा कि राज्य की भारतीय रिजर्व बैंक के पास पर्याप्त धनराशि है। 
अग्निहोत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार पर 31 मार्च, 2008 को 21,241 करोड़ रुपये के ऋण की देनदारी थी, जो 31 मार्च, 2013 तक बढ़कर 28,513 करोड़ रुपये हो गई। इस प्रकार मार्च 2008 से मार्च 2013 तक ऋण की देनदारियां बढ़कर 7272 करोड़ रुपये हो गई। इसके अलावा, वर्ष 2009-10 में 1838 करोड़ रुपये की ऋण राशि को गारंटी के रूप में परिवर्तित किया गया। अतः पिछले पांच वर्षों के दौरान 9,110 करोड़ रुपये के वास्तविक ऋण लिए गए। 
अग्निहोत्री ने कहा कि प्रत्येक राज्य सरकार पुरानी देनदारियों को चुकाने तथा विकास कार्यों के लिए ऋण लेती हैं। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2013-14 में अभी तक केवल 1100 करोड़ रुपये का ऋण लिया है तथा प्रदेश की इस वर्ष जुलाई माह तक करीब 1200 करोड़ रुपये की ऋण अदायगी की देनदारियां हैं, जो वर्ष 2013-14 की कुल ऋण देयता का 70 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2012-13 में जुलाई माह तक 505 करोड़ रुपये की अदायगी बाकी थी और राज्य ने जुलाई 2012 तक 800 करोड़ रुपये के ऋण उठाए। इसलिए केवल इस आधार पर कि पहले तीन माह में 1100 करोड़ रुपये के ऋण उठाए गए, यह कहना उचित नहीं है कि राज्य सरकार वित्तीय संकट से गुजर रही है।
उन्होंने कहा कि 13वें वित्तायोग द्वारा निर्धारित तीन प्रतिशत सकल राज्य घरेलु उत्पाद सीमा के अनुरूप ही वर्ष 2013-14 के दौरान ऋण उठाए जाने प्रस्तावित हैं।
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