राष्ट्रीय (14/11/2013) 
सरकार द्वारा माप तोल विभाग का निजीकरण

केंद्र सरकार द्वारा 5 सितम्बर, 2013 को लीगल मैट्रोलोजी एक्ट 2009 में एक गजट अधिसूचना द्वारा  माप तोल विभाग को प्राइवेट कम्पनियों के हवाले करने की मंशा से " अधिकृत टेस्टिंग सेंटर" के प्रावधान करने पर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने बेहद चिंता जताते हुए सरकारी विभाग के निजीकरण का जबर्दस्त विरोध किया है ! देश भर में किसी के भी द्वारा उपयोग में लाये जा रहे  माप तोल इक्विपमेंट की जांच अब प्राइवेट टेस्टिंग सेंटर करेंगे जो केवल व्यापारियों बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी एक आत्मघाती कदम होगा ! देश में जब भी किसी चीज़ का निजीकरण हुआ है लोगों को उस से राहत की जगह परेशानियों का ही सामना करना पड़ा है !

 

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने केंद्र सरकार के इस कदम को राज्यों की स्वायत्ता पर अंकुश लगाने का एक बड़ा कदम बताते हुए कहा की देश भर में माप तोल विभाग राज्य सरकार के आधीन ही काम करते हैं और इस नाते से केंद्र सरकार की यह अधिसूचना राज्यों के अधिकारों पर सीधा हमला है ! अभी तक ऐसी जांच सरकारी विभाग की स्पेशल वेरिफिकेशन एजेंसी किया करती थी लेकिन अब यह अधिकार सरकार ने प्राइवेट टेस्टिंग एजेंसी को दे दिया है ! इस प्रकार की टेस्टिंग एजेंसी देश भर में कॉर्पोरेट लोगों द्वारा चलायी जाएँगी जिनमें आधुनिक उपकरण होंगे और यह एजेंसी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से सम्बद्ध होंगी जिनमें प्राइवेट लोग काम करेंगे !

 

दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा की इन अधिकृत टेस्टिंग एजेंसी के कारण अभी तक माप तोल विभाग में काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों के भविष्य पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगेगा और बड़ी मात्र में सरकार को राजस्व की हानि होगी क्योंकि माप तोल उपकरण की जांच की फीस अब सर्कार के बजाय प्राइवेट कम्पनियों की जेबों में जायेगी !

 

श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की इस नई व्यवस्था से बेहद भ्रम और ताल मेल के आभाव का वातावरण बनेगा क्योंकि जांच के अलावा बाकी सारे काम जैसे निर्माताओं को लाइसेन्स देना, उनकी मॉनिटरिंग करना आदि विभाग द्वारा ही होंगे ! ऐसे में सवाल उठता है की फिर क्यों राजस्व प्राप्ति के स्त्रोत को सरकार ने प्राइवेट लोगों को देने का निर्णय किया ! कैट ने केंद्र सरकार से मांग की है की इस फैसले पर दोबारा विचार किया जाए और सभी सम्बंधित पक्षों से इस विषय में सलाह मशविरा किया जाए !

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