राष्ट्रीय (03/09/2014) 
कहीं आग न लग जाए घर के चिराग से
नोएडा। नोएडा विधानसभा उपचुनाव में हालांकि उम्मीदवारों को प्रचार का पर्याप्त समय नहीं मिला है, बावजूद इसके उन्होंने चुनाव को संभालने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। चुनाव इस समय पूरे शबाब पर है।
यहां सपा और भाजपा दोनों ही को एक चीज खाए जा रही है वह यह है कि 'कहीं आग न लग जाए घर को घर के चिराग से। नोएडा में माना जाता है कि अगर बसपा पर जिले में सतीश अवाना का कब्जा है तो भाजपा में डॉ. महेश शर्मा पार्टी के सर्वेसर्वा हैं। भाजपा में तमाम वरिष्ठ नेताओं विभिन्न जातियों के प्रतिनिधियों को तकलीफ यह है कि उन्हें दरकिनार करते हुए डॉ. महेश शर्मा अपनी पसंद की ऐसी कार्यकर्ता को उम्मीदवार बनवा लाए जो साफ सुथरी छवी की हैं ही साथ उनके लिए कभी राजनीतिक परेशानी की सबब भी नहीं बनेंगी।
पार्टी ने उन्हें पूर्व विधायक नवाब सिंह नागर, हरीशचंद भाटी, जुगराज प्रधान, मनोज गुप्ता, गोपाल अग्रवाल आदि को पीछे कर विमला बाथम को उम्मीदवार बनाया है। श्रीमती बाथम वैश्य समाज हैं, लेकिन बाथम शब्द के चलते लोग कन्फ्यूजन मेें हैं। वे अब अपना प्रचार विमला बाथम वैश्य के नाम से करा रही हैं। जिन लोगों को टिकट नहीं मिला है, वे क्या कर सकते हैं, यह तो अभी नहीं पता अलबत्ता इतना जरूर है कि वे अपने काम में लगे हैं यानि हम तो डूबे सनम तुम्हें भी तैरने नहीं देंगे। डॉ. महेश शर्मा एक तीर से कई निशाने साधना चाहते हैं। एक तो विमला बाथम को लाकर उन्होंने पार्टी के धुरंधरों को हाशिए पर ला दिया। दूसरे उन्हें जिताकर क्षेत्र में अपना अल्टर्नेट खड़ा होने से रोकेंगे।
उधर सपा में भी कमोबेश यहीं स्थिति है। जिन लोगों को टिकट नहीं मिला वे तो सदमें में हैं ही, पार्टी के अनेक बड़े नेता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि टिकट जिसे दिया गया है उसका पति इतना दबंग है कि वह औरों  की राजनीतिक दुकान बंद कर देगा। लिहाजा शर्मा हुजूरी के लिए वे प्रचार तो कर रहे हैं पर अंतरमन से यह कतई नहीं चाहते कि सपा उम्मीदवार काजल शर्मा जीते। ऐसे में दोनों ही बड़े दलों सपा और भाजपा को दूसरों से कम अपनों ज्यादा खतरा है। कहीं ऐसा न हो बाद यह कहें कि 'हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था, जहां डूबी मेरी किश्ती वहां पानी बहुत कम था।
 

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