राष्ट्रीय (04/09/2014) 
फ्लैट खरीददारों में हड़कंप
ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में फ्लैट बुक कराने वाले लोग अब पछता रहे हैं कि न जाने कौन सी घड़ी में उन्होंने यहां फ्लैट बुक कराया था। जिस तरह से आए दिन कोर्ट के आदेश आ रहे हैं और किसान अपनी मांगों को लेकर बिल्डरों का काम बंद करा रहे हैं
उसमें ज्यादातर प्रोजेक्ट अधर में लटक गए हैं।
पतवाड़ी गांव की जमीन अधिग्रहण के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा प्राधिकरण चेयरमैन रमा रमण व एडीएम एलए शिशिर सिंह के खिलाफ अवमानना याचिका पर आरोप तय कर दिया गया है। यह खबर फैलते ही यहां फ्लैट खरीदने वालों में हड़कंप मच गया है।
दूसरी ओर, प्राधिकरण अधिकारी दावा कर रहे हैं कि हाईकोर्ट के आदेश पर यदि जमीन वापस हुई तो सिर्फ किसान हरकरण समेत 12 की जमीन ही वापस होगी। इससे पूरे गांव की जमीन अधिग्रहण का इससे कोई लेना देना नही है। पतवाड़ी गांव को लेकर कोर्ट के कई आदेश के चलते स्थिति असमंजस की बनी हुई है। कोर्ट ने 19 जुलाई 2011 में हरकरण आदि की याचिका पर गांव की 589 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण रद कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ बड़ी पीठ में चला गया। लंबी सुनवाई के बाद पीठ ने 21 अक्टूबर 2011 को गांव के किसानों को 64.7 फीसद अतिरिक्त मुआवजा देने के आदेश दिए थे।
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद गांव के करीब 80 प्रतिशत किसानों ने प्राधिकरण से समझौता कर मुआवजा उठा लिया था, लेकिन हरकरण आदि ने मुआवजा नहीं उठाया और जमीन वापस कराने की मांग की। कोर्ट ने फरवरी 2014 के आदेश में प्राधिकरण को दो माह में हरकरण आदि की याचिका पर जमीन वापस करने के आदेश दिए थे। इस पर प्राधिकरण ने कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए बड़ी पीठ के आदेश पर मुआवजा बांटकर किसानों के साथ समझौता कर चुका है।
इसी बीच हाईकोर्ट की एक अन्य पीठ ने 13 मई 2014 को अपने फैसले में प्राधिकरण को राहत देते हुए कहा कि 21 अक्टूबर, 2011 के फैसले के बाद जो किसान 64.7 फीसद मुआवजा ले चुके हैं, जमीन वापस लेने के हकदार नहीं है, उनकी याचिका हरकरण आदि के साथ शामिल नहीं होगी। मुआवजा न लेने वाले किसानों की याचिका ही हरकरण आदि के साथ शामिल होंगी।
23 जुलाई को भी हाईकोर्ट ने प्राधिकरण को हरकरण आदि की जमीन दो माह में लौटाने का आदेश दिया था। प्राधिकरण 13 मई के आदेश को आधार बनाकर दावा कर रहा है कि जो किसान अतिरिक्त मुआवजा उठा चुके हैं। उनकी जमीन वापस नहीं होगी। इस संबंध में प्राधिकरण अधिकारी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। दबी जुबान से उनका कहना है कि यदि जमीन वापस करनी पड़ी तो हरकरण समेत 12 किसानों की जमीन ही वापस होगी।

Copyright @ 2019.