राष्ट्रीय (05/09/2014) 
आज भी शिक्षकों की बात पर करते हैं अमल
नोएडा। वैसे तो शिक्षक हमेशा ही छात्रों को याद रहते हैं लेकिन उनके साथ बिताए गए जिंदगी के अहम लम्हें जिनमें कुछ खट्टी-मिट्ठी यादें होती हैं कभी भी नहीं भुलाई जा सकतीं।
आज शिक्षक दिवस है। इस मौके पर चाहे बड़ा हो या छोटा सभी लोग अपने-अपने फेवरेट टीचरों को फोन कर बधाई दे रहे हैं। इतना ही नहीं कुछ ऐसे छात्र भी मिले जो बरसों बाद भी टीचर को आज उनके घर फूल देने पहुंचे। ज्यादातर लोगों का कहना है कि आज भी वे अपने शिक्षकों की बातों पर अमल करते हैं।

एवी राजामौली
जिलाधिकारी
गौतमबुद्घ नगर
जिलाधिकारी एवी राजामौली ने अपने बारे में बताया कि उनकी जिंदगी में कई ऐसे शिक्षक आए जिन्होंने उनका जीवन ही बदल दिया। उन्हें स्कूल में पढ़ाने वाले कई शिक्षकों की बातें आज भी याद है। इतना ही नहीं जब वे आईएएस परीक्षा की तैयारी कर रहे थे तब भी उन्हें शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान मिला था।

राजेश यादव
एसडीएम
दादरी
एसडीएम राजेश यादव का कहना है कि शिक्षक हमारे जिंदगी में अहम भूमिका निभाते हैं। देश के निर्माण में शिक्षकों का अहम योगदान है। उन्होंने कहा कि शिक्षक जो भी छात्रों को पढ़ाएं उसे वे ध्यान से पढ़ें। शिक्षक पढ़ाने के अलावा बीएलओ व अन्य रूप में भी काम करते हैं। इसलिए उनकी भूमिका और भी ज्यादा अहम हो जाती है।

योगेश सिंह
एसपी सिटी
नोएडा
एसपी सिटी योगेश सिंह ने बताया कि शिक्षक आदर्श देश का निर्माण करने में अहम भूमिका निभाते हैं। जब मैं स्कूल में था तब कुछ ऐसे शिक्षक थे जिन्होंने मुझे जिंदगी संवारने के लिए मार्गदर्शन दिया। शिक्षक हमेशा एक सच्चे साथी की तरह कर्तव्य निभाते हैं। आज भी मुझे कई शिक्षकों की बातें याद हैं और मैं उन पर अमल करता हूं।

एसपी सिटी योगेश सिंह ने बताया कि शिक्षक आदर्श देश का निर्माण करने में अहम भूमिका निभाते हैं। जब मैं स्कूल में था तब कुछ ऐसे शिक्षक थे जिन्होंने मुझे जिंदगी संवारने के लिए मार्गदर्शन दिया। शिक्षक हमेशा एक सच्चे साथी की तरह कर्तव्य निभाते हैं। आज भी मुझे कई शिक्षकों की बातें याद हैं और मैं उन पर अमल करता हूं।
समाजसेवी अनिल सिंह ने बताया कि जब वह स्कूल में थे तब उनकी एक शिक्षक ने महज इस बात पर पिटाई की कि उन्होंने शिक्षक को कहा कि आप सबको बराबरी का दर्जा दीजिए क्योंकि वह हमेशा एक ही छात्र का नाम लिया करते थे। मेरी बात सुनने के बाद उन्होंने सभी छात्रों को बराबर का दर्जा दिया और बिना रजिस्टर के हाजिरी लिया करते थे।

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