राष्ट्रीय (05/09/2014) 
शहरी हलचल - विधानसभा उपचुनाव में जोर आजमाइश - घर का भेदी लंका ढाए
जैसे-जैसे मतदान की तिथि नजदीक आ रही है वैसे-वैसे प्रत्याशियों ने दूसरे दलों के लोगों को तोडऩा शुरू कर दिया है। ऐसा इसीलिए किया जा रहा है कि दूसरे प्रत्याशी की रणनीति का पता लगा कर उसे ध्वस्त किया जा सके।
यहां यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है कि घर का भेदी लंका ढाए। ऐसे में सभी दलों में ऐसे लोग देखे जा रहे हैं जो दिखावे के लिए तो प्रचार तक में जुटे हैं लेकिन अंदर ही अंदर उनकी जड़ें खोखली कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी में भी कुछ घर के भेदी हैं जो नही चाहते कि उनकी प्रत्याशी काजल शर्मा यहां से जीते क्योंकि वे जीतती हैं तो अगली बार के लिए भी उनका टिकट पक्का रहेगा।
ठीक इसी तरह भाजपा में भी घर के भेदियों की कमी नहीं है। भाजपाई तो अपने प्रत्याशी को एक डमी उम्मीदवार के रूप में मान रहे हैं। कई ऐसे नेता हैं जो दबी आवाज में कह देते हैं कि विमला बाथम भाजपा उम्मीदवार नहीं बल्कि सांसद डा. महेश शर्मा की उम्मीदवार हैं। कमजोर उम्मीदवार के लिए प्रचार का कोई फायदा नहीं। अंदर ही अंदर भाजपा में उनका विरोध है और टिकट के इच्छुक लोग अपना काम बनाने के लिए उन्हें हराने की जुगत में लग गए हैं।
देखा जाए तो कांग्रेस में भी दगाबाजों की कमी नही है। कांग्रेसियों का तर्क है कि जे व्यक्ति संगठन में सक्रिय नहीं रहे उनको ही कमान सौंप दी गई है। जब प्रत्याशी हारेंगे तो उच्च नेताओं की आंख खुलेगी। दिखावे के लिए तो वे प्रचार कर रहे हैं लेकिन दुष्प्रचार में भी पीछे नहीं हैं। 'जय हिन्द जनाब इनके नाम इसलिए प्रकाशित नहीं कर रहा है कि आपस में कहीं तनाव की स्थिति पैदा न हो जाए। मगर सपा, भाजपा और कांग्रेस में जो लोग दुष्प्रचार कर रहे हैं उनके नाम सबूत के साथ अखबार के पास उपलब्ध है।

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