राष्ट्रीय (11/09/2014) 
नजरिया - कैसे पहुंचेंगे इन संदिग्ध वोटों तक
15 दिनों की लंबी जद्दोजहद के बाद आज नोएडा विधानसभा उपचुनाव का प्रचार थम जाएगा। आज तड़के से ही उम्मीदवारों ने जान फूंक रखी है। सभी के समर्थक विधानसभा के सेक्टरों और गांवों में फैले पड़े हैं। आज के बाद उम्मीदवार जनसंपर्क और रणनीति में बिजी रहेंगे। लगभग सवा पांच लाख मतदाताओं वाले इस चुनाव में संभावना यह है कि मतदान का औसत 50 से 55 फीसदी के आसपास रहेगा। उस लिहाज से जीतने वाला उम्मीदवार सवा लाख के आसपास वोट हासिल करेगा।
ब यहां गौरतलब बात यह है कि पिछले चुनावों से पहले तकरीबन 90 हजार वोट ऐसे बने हैं, जिन तक पहुंचना सिर्फ भाजपा के लिए ही मुमकिन है। ये वोट अन्य उम्मीदवारों को ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। माना जा रहा है कि यही वोट बैंक हार-जीत का बड़ा कारण होगा। जहां तक फर्जी वोटिंग और बूथ कैप्चरिंग के आरोपों का सवाल है तो प्रशासनिक तैयारी के सामने यह संभव दिखाई नहीं पड़ रहा है। अलबत्ता इतना जरूर है कि एक तो उपचुनाव में मतदान का औसत वैसे ही कम होता है उस पर इस तरह की अफवाहों से उम्मीद यही है कि शहरी क्षेत्रों में मतदान का औसत काफी गिर सकता है।
सूत्रों की मानें तो बहुत सारे शहरी मतदाताओं ने इस दिन को छुट्टी मानकर अभी से अपने बाहर घूमने के प्रोग्राम बना लिए हैं। खासतौर से युवा वर्ग में इस चुनाव को लेकर कोई खास दिलचस्पी दिखाई नहीं दे रही है।
अभी तक चुनाव जितना आगे बढ़ा है उसके मुताबिक ब्राह्मण, मुस्लिम, गुर्जर, यादव और वैश्य समाज ने अपना नजरिया कुछ सामने रखा है। ठाकुर और दलित समाज ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। जो उम्मीदवार इनमें पैठ बनाने में कामयाब रहा निश्चित तौर पर वह जीत के करीब होगा। झुग्गियों का वोट भी इसमें अहम भूमिका अदा करेगा। बहरहाल अब दो दिन सोशल मीडिया पर ही प्रचार का धुंध होगा।

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