राष्ट्रीय (17/09/2014) 
साम्प्रदायिकता बनाम धर्मनिरपेक्षता
उपचुनाव में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने तो राजस्थान में कांग्रेस ने कमल को मुरझाने पर मजबूर कर दिया या यूं कहा जाए कि उपचुनाव में साम्प्रदायिकता बनाम धर्मनिरपेक्षता देखने को मिली है।

जिस तरह से यूपी में साम्प्रदायिक ताकतों ने अखिलेश सरकार को धता बता कर एक के बाद एक दंगे कराए जिसमें मुजफ्फरनगर और सहारनपुर अहम थे। इसके बाद लोगों को समझ आने लगा कि साम्प्रदायिकता की राजनीति कहां से शुरू हो रही है। मुल्ला-मुलायम कहे जाने वाले सपा मुखिया ने यूपी में तो भाजपा को बता दिया है कि अब धर्म की राजनीति छोडऩी पड़ेगी। 11 सीटों में से 8 सीटें समाजवादी पार्टी को मिली जबकि 3 सीटों से ही भाजपा को संतोष करना पड़ा।
कांग्रेस जनाधार ढूंढती ही रह गई लेकिन राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी ही मुख्य दल हैं। इसलिए यहां भी बीजेपी को मुंहकी खानी पड़ी। इसके पीछे सबसे बड़ा फैक्टर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रचार न करने का माना जा रहा है। भाजपा वाले तो इतना तक कह रहे हैं कि पार्टी केवल दो तीन नामों के बीच में ही सिमट कर रह गई है इसीलिए कार्यकर्ताओं ने भी कोई खास उत्साह नहीं दिखाया।
नोएडा विधानसभा सीट भाजपा की झोली में गई है लेकिन इसके पीछे सबसे बड़ा हाथ सांसद डॉक्टर महेश शर्मा का है। डा. शर्मा कैलाश अस्पताल के जरिए समाजसेवा कर लोगों के दिल में पैठ बना चुके हैं। उन्होंने धर्मनिरपेक्षता का ही रास्ता अपनाया हुआ है जिसके चलते आज के परिवेश में देखा जाए तो डा. महेश शर्मा भाजपा के हीरो हैं और बाकी सब जीरो हैं।

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