राष्ट्रीय (17/09/2014) 
दिखावे के भ्रम में साइकिल की निकली हवा
अपने ही गढ़ में भाजपा से पीछे रही सपा, काम न आया उद्योगपतियों, वैश्य समाज व
अन्य समाजों का जुडऩा, अब सताने लगा कई नेताओं को क्लास लगने का डर
नोएडा। जिस तरह से समाजवादी पार्टी ने उपचुनाव के लिए साइकिल में हवा भर गति पकड़ी ठीक वैसे ही इस भ्रम की गति ने साइकिल की हवा निकाल कर रख दी। भारी संख्या में सपा के लोग मूर्त रूप से समर्थन देते नजर आए।
मगर अंदरूनी तौर पर उनकी खुद की वोट कहां गई इसका अंदाजा भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच आए करीब 59 हजार  मतों की खाई से ही पता लगाया जा सकता है। प्रचार के दौरान सपाईयों ने जीतने के हर एक दावे किए।  इतना ही नहीं दूसरे स्थानों से आए कई मंत्री और वरिष्ठ नेताओं ने तो होटल कार्यालयों में बैठ कर ही सपा को विजयी घोषित किया था। आंकड़े इस तरह जोड़े गए कि सपा ही विजय रहेगी।
जिस तरह से उद्योगपतियों ने भी समाजवादी पार्टी को समर्थन दिया था उसका भी कोई खास लाभ नहीं हुआ। एनईए अध्यक्ष विपिन्न मल्हन, पूर्व अध्यक्ष राकेश कत्याल तथा अन्य उद्योगपतियों ने सपा को ही जीत दिलाने का संकल्प लिया था। ऐसे में इस संकल्प का क्या लाभ हुआ इस पर वोटों के बीच बनी खाई सबकुछ बयां कर रही है।
सपा जिन क्षेत्रों में अपने मतदाताओं की संख्या अधिक होने की बात कर रही थी। वहां पर भी भाजपा ने ही बाजी मारी।
पार्टी उम्मीदवार काजल शर्मा के पति एवं विधायक गुड्डू पंडित के गांव गिझोड़ में भी सपा को अच्छे मत तो मिले हैं मगर यहां भी 1000 से अधिक मत सपा से ज्यादा भाजपा ने झटके। ऐसे में सवाल उठता है कि अलग-अलग समाजों के लोग जो समाजवादी पार्टी के समर्थन में जुटे थे उनके अभियान का क्या रहा, क्या उन्होंने जनता के बीच जाकर पार्टी का प्रचार किया। यह सब गहन जांच के बिंदू हैं।

Copyright @ 2019.