सुप्रीम कोर्ट ने 1967 के उस फैसले को पलट दिया है जिसमें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) को अल्पसंख्यक संस्थान मानने से इनकार किया गया था। चार जजों की बेंच ने 4:3 के बहुमत से कहा कि 2006 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले की वैधता पर पुनः सुनवाई के लिए एक नई बेंच बनेगी।
AMU ने 2005 में अपने पीजी मेडिकल कोर्स में मुस्लिम छात्रों के लिए 50% सीटें आरक्षित की थीं, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवैध बताया। सरकार और AMU ने इस पर सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। 1981 में सरकार ने AMU को अल्पसंख्यक दर्जा देने के लिए एक्ट में संशोधन किया था, लेकिन कोर्ट ने इसे “अधूरी कोशिश” कहा।
इस पर विवाद जारी है क्योंकि केंद्र से बड़ी आर्थिक सहायता पाने और राष्ट्रीय महत्व का दर्जा प्राप्त होने के बाद इसे अल्पसंख्यक दर्जा देने का विरोध हो रहा है। CJI चंद्रचूड़ ने बहुमत का फैसला लिखा, जबकि तीन जजों ने असहमति जताई।
इस फैसले के बाद अब AMU के अल्पसंख्यक दर्जे पर एक नई बेंच में सुनवाई होगी, जो इस पर अंतिम निर्णय लेगी। यह मामला दशकों से कानूनी पेचीदगियों में उलझा रहा है, और अब यह फैसला शायद इस विवाद को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।