उद्योग जगत की गुहार: राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति के उल्लंघन पर प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग

नई दिल्ली, 25 अक्टूबर, 2024: उद्योग जगत के संगठनों ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय पर राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील की है। पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइसेज़ (AiMed) ने स्वदेशी चिकित्सा उपकरण निर्माताओं के हितों की रक्षा हेतु यह मांग की है।

स्वदेशी निर्माताओं ने मंत्रालय के हालिया कार्यालय ज्ञापन पर आपत्ति जताई है, जिसमें नवीकृत और पहले से इस्तेमाल किए गए चिकित्सा उपकरणों के आयात की अनुमति दी गई है। उद्योग जगत का कहना है कि यह निर्णय ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे सरकारी अभियानों के विपरीत है। उन्होंने कहा कि यह नीति स्वदेशी निर्माण में बाधा उत्पन्न करेगी और भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली के लिए खतरा साबित हो सकती है।

स्वदेशी निर्माताओं का कहना है कि नवीकृत चिकित्सा उपकरण पुराने तकनीकी मानकों पर आधारित होते हैं और इनमें वारंटी भी कम होती है, जिससे मरीजों की सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के फोरम कोऑर्डिनेटर श्री राजीव नाथ ने इस ज्ञापन को राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति 2023 का उल्लंघन बताया और कहा कि यह नीति स्वदेशी चिकित्सा उपकरण उद्योग को कमजोर करती है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी निर्माता अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों के अनुरूप उपकरण बना रहे हैं और इनका उपयोग भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थानों में हो रहा है।

श्री अतुल शर्मा, सह-संस्थापक, इनवोल्युशन हेल्थकेयर प्रा. लिमिटेड ने कहा कि स्वदेशी निर्माताओं ने उच्च गुणवत्ता के उपकरण विकसित किए हैं जो देश के हर वर्ग के स्वास्थ्यसेवा संबंधी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नवीकृत उपकरणों का आयात छोटे शहरों के लिए अधिक किफायती हो सकता है, लेकिन इनके रखरखाव की लागत अधिक होती है और जीवनकाल कम होता है।

इस अवसर पर निराशा व्यक्त करते हुए उद्योग जगत के कई अन्य दिग्गजों ने भी स्वदेशी निर्माण के महत्व और मरीजों की सुरक्षा की दिशा में सरकार से उचित कदम उठाने की मांग की। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि नवीकृत चिकित्सा उपकरणों के आयात पर रोक लगाई जाए और स्वदेशी निर्माण को प्राथमिकता दी जाए।

इस सम्मेलन में विभिन्न उद्योग संगठनों और चिकित्सा उपकरण निर्माताओं ने हिस्सा लिया और नीतियों में बदलाव की मांग की ताकि देश की स्वास्थ्यसेवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

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