नई दिल्ली के प्रतिष्ठित इंडिया गेट पर आज से 22वें दिव्य कला मेले की शुरुआत हो गई। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD) और राष्ट्रीय दिव्यांगजन वित्त और विकास निगम (NDFDC) के सहयोग से आयोजित यह मेला दिव्यांग शिल्पकारों और कलाकारों की असाधारण प्रतिभा और उद्यमशीलता का अद्भुत मंच प्रदान करता है। इस 11-दिवसीय आयोजन का उद्घाटन माननीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में किया। यह मेला 12 से 22 दिसंबर 2024 तक चलेगा।
इस कार्यक्रम में देशभर के 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लगभग 100 दिव्यांग शिल्पकार, कलाकार, और उद्यमी भाग ले रहे हैं। ये कलाकार अपने हस्तशिल्प, हथकरघा, होम डेकोर, जैविक उत्पाद, गहने और अन्य अनोखे उत्पादों के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करेंगे। यह मेला प्रतिदिन सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक आगंतुकों के लिए खुला रहेगा।
डॉ. वीरेंद्र कुमार ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “दिव्य कला मेला न केवल दिव्यांगजनों की रचनात्मकता और क्षमता का उत्सव है, बल्कि उनके सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। यह आयोजन ‘वोकल फॉर लोकल’ के प्रति हमारे प्रधानमंत्री जी की प्रतिबद्धता को भी साकार करता है, जो आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का आधार है।”
इस भव्य आयोजन में माननीय राज्यमंत्री श्री बी. एल. वर्मा और श्री रामदास अठावले ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि यह मेला उन्हें अपनी कला और कौशल दिखाने और समाज में प्रभावशाली योगदान देने का बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।
मुख्य आकर्षण:
- हस्तशिल्प और उत्पाद प्रदर्शन
आगंतुक यहां हस्तकला, कढ़ाई, पर्यावरण अनुकूल उत्पाद, जैविक फूड, गहने और खिलौनों जैसे विविध उत्पादों को देख और खरीद सकते हैं। - सांस्कृतिक कार्यक्रम
दिव्यांग कलाकारों द्वारा प्रस्तुत संगीत, नृत्य और प्रदर्शन कलाओं का आयोजन मेले की खासियत है। समापन दिवस पर ‘दिव्य कला शक्ति’ नामक विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होगा। - पाक व्यंजन
मेले में देश के विभिन्न हिस्सों के स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेने के लिए फूड स्टॉल भी लगाए गए हैं।
दिव्य कला मेला केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि दिव्यांगजनों के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक आंदोलन है। यह उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने, नए बाजारों तक पहुंचने और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।
इस आयोजन के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विविधता और दिव्यांगजनों की अद्वितीय क्षमता को न केवल राष्ट्रीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया है।