दिल्ली के शाहदरा साइबर पुलिस स्टेशन में एक मामला दर्ज किया गया, जिसमें शिकायतकर्ता संतोष कुमार राम ने आरोप लगाया कि मार्च 2024 में एक अज्ञात व्यक्ति ने उन्हें पॉलिसी नवीनीकरण के बहाने फोन किया और उनसे 5.58 लाख रुपये की ठगी की। जब संतोष कुमार ने ठग से अपने पैसे वापस करने की मांग की, तो उसने फोन उठाना बंद कर दिया। ठगी की राशि में से 1.04 लाख रुपये आईसीआईसीआई बैंक के खाते में ट्रांसफर किए गए, जो आरोपी उमा शंकर के नाम पर रजिस्टर्ड था। इसके बाद, पुलिस ने आरोपी की तलाश शुरू की और यह पाया कि उमा शंकर ने कई बैंकों में खाते खोले हुए थे।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, इंस्पेक्टर मनीष कुमार वर्मा, एसएचओ साइबर शाहदरा, और एसीपी गुरुदेव सिंह के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई, जिसमें एसआई विक्रांत चौधरी, एचसी अजीत, एचसी राजेश और कांस्टेबल मनीष शामिल थे। टीम ने बैंक ट्रांजेक्शन की जांच की और संदिग्ध का मोबाइल सर्विलांस किया। गुप्त सूचना के आधार पर 11 अक्टूबर 2024 को छापेमारी की गई, जिसमें उमा शंकर को गिरफ्तार किया गया और उसके पास से 2.9 लाख रुपये नकद और कई बैंकों की पासबुक व डेबिट कार्ड बरामद किए गए।
आगे की जांच में, आरोपी उमा शंकर की निशानदेही पर उसके सहयोगी कमल शर्मा सोनू को भी गिरफ्तार किया गया, जो उमा शंकर से ठगी की रकम लेकर अन्य आरोपियों तक पहुंचाता था।
पूछताछ में उमा शंकर ने खुलासा किया कि उसे करीब एक साल पहले कमल शर्मा सोनू ने संपर्क किया था। उसने उमा शंकर से बैंक खाते उपलब्ध कराने के लिए कहा था, जहां वह पॉलिसी नवीनीकरण और जीएसटी के नाम पर ठगी की रकम ट्रांसफर करता था, और बदले में उसे 3% कमीशन देता था। कमल शर्मा सोनू ने बताया कि वह यह पैसा अन्य आरोपी, सौरभ हनी कुमार, को पहुंचाता था, जो ठगी के लिए लोगों को कॉल करता था। जांच के दौरान सौरभ और अन्य आरोपियों की तलाश में कई जगहों पर छापेमारी की गई, लेकिन वे फरार पाए गए।