
दिल्ली सरकार द्वारा BS4 डीज़ल मालवाहक वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाने के फैसले का देशभर की 60 से अधिक परिवहन यूनियनों ने एक सुर में विरोध किया है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के नेतृत्व में दिल्ली और एनसीआर के लगभग 700 वाहन मालिकों और यूनियनों ने एक बड़ी बैठक में भाग लिया।
दिल्ली एनसीआर ट्रांसपोर्ट एकता मंच के संयोजक श्याम सुंदर ने कहा कि यह आदेश व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि दिल्ली में 70% आवश्यक वस्तुएं BS4 डीज़ल वाहनों के ज़रिए ही पहुंचती हैं। उन्होंने सरकार से इस फैसले को पुनर्विचार के लिए टालने की मांग की।
परिवहन विशेषज्ञ अनिल चिकारा ने कहा कि दिल्ली जैसे शहरों में कम लोड और शहरी ड्राइविंग के दौरान BS4 और BS6 वाहनों के टेल पाइप से निकलने वाले प्रदूषण में कोई विशेष अंतर नहीं होता। उन्होंने बताया कि इन दोनों ही श्रेणी के वाहनों में स्मोक ट्रीटमेंट सिस्टम लगा होता है, जिससे प्रदूषक तत्व पहले ही नियंत्रित हो जाते हैं।
अनिल चिकारा ने कहा कि किसी वाहन को प्रतिबंधित करने की कार्रवाई टेल पाइप से निकलने वाले धुएं के आधार पर ही की जानी चाहिए, जैसा कि मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 116 और CMVR में प्रावधान है। उन्होंने सुझाव दिया कि AI, ANPR, हाई-डेफिनिशन कैमरा और थर्मल इमेजिंग जैसी तकनीकों की मदद से उन वाहनों की पहचान की जा सकती है जो सच में प्रदूषण फैला रहे हैं।
यूनियनों ने आरोप लगाया कि यह निर्णय बिना किसी तथ्य और गहन अध्ययन के लिया गया है, जिसका सीधा असर व्यापार और आपूर्ति पर पड़ेगा। यूनियनों ने चेतावनी दी है कि अगर इस मुद्दे पर सरकार से सकारात्मक वार्ता नहीं हुई, तो वे बड़े स्तर पर हड़ताल का रास्ता अपना सकते हैं।