
नई दिल्ली। दिल्ली में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट ने सरकार की नाकामी को उजागर किया है। विधानसभा अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता ने इस रिपोर्ट पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह समस्या पूरी तरह तत्कालीन सरकार के नियंत्रण में थी, लेकिन सरकार इसे रोकने में विफल रही।
CAG रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के सबसे बड़े स्रोत वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए सरकार के प्रयास नाकाफी रहे। रिपोर्ट में सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने, यातायात के वैकल्पिक साधनों को अपनाने और प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्रों की अनियमितताओं को दूर करने की जरूरत बताई गई है, लेकिन सरकार ने इन सभी बिंदुओं पर लापरवाही बरती।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद बीएस-III और बीएस-IV वाहनों का पंजीकरण किया गया, जबकि लाखों ऐसे वाहन जिनका रजिस्ट्रेशन रद्द होना था, वे सड़कों पर चलते रहे। दिल्ली की जनता को प्रदूषण से राहत देने के लिए ऑड-ईवन योजना, ट्रकों पर प्रतिबंध और इलेक्ट्रिक वाहनों की शुरुआत जैसे कदम उठाए तो गए, लेकिन इन्हें प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया।
उन्होंने इस मामले की गहन जांच के लिए लोक लेखा समिति (PAC) से तीन महीने के भीतर रिपोर्ट देने की सिफारिश की है। साथ ही, संबंधित विभागों को एक महीने में अपने कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली की जनता के स्वास्थ्य के साथ किया गया यह खिलवाड़ अक्षम्य है, और इसकी जवाबदेही तय की जाएगी।