नई दिल्ली, 9 अक्टूबर, 2024: आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा को ‘वास्तविक और व्यावहारिक’ करार देते हुए एसोचैम (ASSOCHAM) ने आज कहा कि नीति रुख को ‘विथड्रॉल ऑफ एकॉमोडेशन’ से ‘न्यूट्रल’ में बदलने का फैसला आने वाले कुछ तिमाहियों में ब्याज दरों में संभावित कमी के संकेत देता है, हालांकि मौद्रिक नीति समिति ने फिलहाल रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा है।
एसोचैम के महासचिव, श्री दीपक सूद ने कहा, “नीति रुख का ‘न्यूट्रल’ में बदलना एक सकारात्मक विकास है, जो यह दर्शाता है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति घरेलू और वैश्विक घटनाओं के आधार पर लचीली रहेगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत नजर आ रही है, खासकर जब महंगाई दर चार प्रतिशत से नीचे आ गई है और त्योहारी सीजन के दौरान उपभोक्ता मांग में और तेजी आने की उम्मीद है। लेकिन, जैसा कि आरबीआई ने अपनी नीति में जिक्र किया, वैश्विक भू-राजनीतिक घटनाओं पर नजर रखना जरूरी है।
श्री सूद ने आरबीआई द्वारा चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 7.2 प्रतिशत की अनुमानित जीडीपी वृद्धि को लेकर व्यक्त किए गए आशावादी दृष्टिकोण से सहमति जताई। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र की बेहतर संभावनाओं और ग्रामीण मांग में वृद्धि के साथ यह अनुमान सटीक लगता है। “ग्रामीण मांग में सुधार के संकेत जैसे कि ट्रैक्टर और दोपहिया वाहन बिक्री और एफएमसीजी सेक्टर के आंकड़ों में दिखने लगे हैं,” उन्होंने कहा।
एसोचैम महासचिव ने कहा कि आरबीआई का चार प्रतिशत मुद्रास्फीति लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना दीर्घकालिक सतत विकास के लिए सकारात्मक संकेत है। “यह सुनिश्चित करेगा कि भारत की आर्थिक गाथा लंबे समय तक मजबूत बनी रहे।”
उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों की चुनौतियों के बावजूद, वैश्विक अर्थव्यवस्था ने लचीलापन दिखाया है, जैसा कि क्रेडिट नीति वक्तव्य में देखा गया है। “यह हमारे निर्यात और सीमा पार निवेश के माहौल को बढ़ावा देने में मदद करेगा, हालांकि, घटनाक्रम पर कड़ी नजर रखना जरूरी है।”