
नई दिल्ली: भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को अधिक कुशल, तेज़ और टिकाऊ बनाने के लिए फिक्की द्वारा गति शक्ति समिट के दूसरे संस्करण का आयोजन किया गया। इस समिट में विशेषज्ञों ने लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री की मौजूदा चुनौतियों और संभावित समाधानों पर चर्चा की, जिससे ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
इस चर्चा में मुख्य रूप से लॉजिस्टिक्स लागत, ट्रांसपोर्टेशन स्पीड, सप्लाई चेन की विश्वसनीयता और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन जैसे अहम मुद्दों पर जोर दिया गया। विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में लॉजिस्टिक्स का बड़ा हिस्सा अभी भी सड़क परिवहन पर निर्भर है, जिससे 2000-3000 किमी तक की दूरी तय करने में समय और लागत दोनों अधिक लगते हैं। रेलवे को लॉजिस्टिक्स प्रणाली में अधिक प्रभावी ढंग से शामिल करने की जरूरत है ताकि टिकाऊ और किफायती परिवहन संभव हो सके।
इलेक्ट्रिक ट्रकों के उपयोग और रेल परिवहन को प्राथमिकता देने से लॉजिस्टिक्स सिस्टम को हरित और अधिक कुशल बनाया जा सकता है। हालांकि, ‘फर्स्ट माइल’ और ‘लास्ट माइल’ डिलीवरी के लिए रोड ट्रांसपोर्टेशन का रोल बना रहेगा। इसके साथ ही, ई-कॉमर्स ने डिलीवरी सिस्टम को नई परिभाषा दी है, जिससे लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री को अपनी रणनीतियों को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता है।
डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और फास्ट-ट्रैक सिस्टम को लॉजिस्टिक्स में लागू करने से यह क्षेत्र और अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकता है। समिट में इस बात पर जोर दिया गया कि भारत के लॉजिस्टिक्स सिस्टम को सस्टेनेबिलिटी और एफिशिएंसी के साथ तैयार किया जाए, ताकि यह भविष्य की जरूरतों को पूरा कर सके और देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान दे सके।
फिक्की के इस आयोजन ने लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए आवश्यक नीतियों और नवाचारों पर व्यापक मंथन किया, जिससे भारत की लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी और प्रभावी बन सके।