नई दिल्ली, 30 अक्तूबर 2025।
दक्षिण-पश्चिम जिले की साइबर पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए एक हाई-टेक साइबर ठगी गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो पर्सनल लोन के नाम पर लोगों से लाखों रुपये की ठगी कर रहा था। पुलिस ने गिरोह के सरगना हिमांशु कुमार गौतम सहित कुल पांच आरोपियोंको गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों के पास से आठ मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं, जिनका इस्तेमाल ठगी को अंजाम देने में किया गया था।
मामला तब सामने आया जब पालम निवासी एक महिला ने साइबर पुलिस थाने में शिकायत दी कि उन्हें एक कॉल आई, जिसमें खुद को एक प्रतिष्ठित बैंक का प्रतिनिधि बताने वाले व्यक्ति ने उनके क्रेडिट कार्ड के रिवॉर्ड प्वाइंट रिडीम कराने का लालच दिया। बातों-बातों में उसने महिला से ओटीपी हासिल कर लिया और कुछ ही मिनटों में उनके एचडीएफसी बैंक खाते में 11.95 लाख रुपये का प्री-अप्रूव्ड पर्सनल लोन जारी करवा लिया। यह राशि तुरंत ही अन्य खातों में ट्रांसफर कर दी गई।
शिकायत के बाद साइबर दक्षिण-पश्चिम थाने में मामला दर्ज किया गया और इंस्पेक्टर प्रवेश कौशिक की अगुवाई में एक विशेष टीम गठित की गई, जिसमें एसआई जगदीप नारा, एचसी हरेंद्र, एचसी प्रवीण, एचसी विनोद और कॉन्स्टेबल विकास शामिल थे। टीम ने तकनीकी जांच, बैंक डिटेल्स और सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपियों की लोकेशन ट्रेस की और विशाल एन्क्लेव से हेमराज गुर्जर और राज स्वामी को गिरफ्तार किया। ये दोनों अपने खातों में ठगी की रकम पार्क कर उसे एटीएम से निकालते थे।
पूछताछ में इन दोनों ने अन्य साथियों के नाम बताए, जिसके बाद आसिफ अली को न्यू सीलमपुर से दबोचा गया। वह इस गिरोह के लिए “म्यूल अकाउंट्स” यानी फर्जी बैंक खातों की व्यवस्था करता था। आगे की कार्रवाई में पुलिस ने गुलाब बाग, उत्तम नगर से सचिन को गिरफ्तार किया, जिसकी निशानदेही पर आखिरकार मास्टरमाइंड हिमांशु कुमार गौतम को रामा पार्क, दिल्ली से पकड़ा गया।
जांच में खुलासा हुआ कि हिमांशु बैंक अधिकारी बनकर लोगों से संपर्क करता था और उनकी बैंकिंग ऐप्स तक पहुंच हासिल कर प्री-अप्रूव्ड लोनअपने गिरोह के खातों में ट्रांसफर कर देता था। सचिन बैंक खातों की व्यवस्था करता था, जबकि हेमराज और राज स्वामी उन खातों से पैसे निकालते थे। आसिफ अली खातों की जांच और सप्लाई का काम संभालता था।
गिरफ्तार आरोपियों में 21 वर्षीय हेमराज गुर्जर और 22 वर्षीय राज स्वामी राजस्थान के कोटपुतली के रहने वाले हैं, जो पहले रैपिडो चालक के रूप में काम करते थे और कमीशन के लालच में अपना खाता उपलब्ध कराते थे। 26 वर्षीय आसिफ अली और 28 वर्षीय सचिन भी इसी नेटवर्क का हिस्सा थे, जो बैंक खातों की दलाली का काम करते थे। मास्टरमाइंड हिमांशु गौतम पहले भी रोहतक में साइबर ठगी के एक मामले में शामिल रह चुका है।
डीसीपी अमित गोयल ने बताया कि यह गिरोह बेहद चालाकी से लोगों के बैंक खातों को निशाना बनाता था और पलक झपकते ही लाखों की ठगी को अंजाम देता था। पुलिस अब गिरोह के अन्य संभावित नेटवर्क और फंड ट्रेल की जांच कर रही है।
दिल्ली पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि किसी भी अनजान कॉल या संदेश पर अपनी बैंक डिटेल या ओटीपी साझा न करें। साइबर अपराधी अब तकनीकी और मनोवैज्ञानिक दोनों तरीकों से लोगों को जाल में फंसा रहे हैं — इसलिए जागरूकता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।






