
नई दिल्ली। भारत मंडपम के ऑडिटोरियम-1 में आज हस्तरेखा विज्ञान को समर्पित ‘10वां पामिस्ट्री डे’ बेहद भव्य अंदाज़ में मनाया गया। इस आयोजन में देशभर से हस्तरेखा विशेषज्ञ, शोधार्थी और विज्ञान प्रेमी शामिल हुए। कार्यक्रम का आयोजन पामवेद फाउंडेशन द्वारा किया गया, जिसकी अगुवाई प्रसिद्ध पामिस्ट (हस्तरेखा विशेषज्ञ) लक्ष्मीकांत त्रिपाठी ने की।
लक्ष्मीकांत त्रिपाठी ने इस अवसर पर बताया कि हस्तरेखा केवल हाथ की रेखाएं नहीं, बल्कि इंसान के जीवन की पूरी कहानी होती हैं। उन्होंने बताया कि हमारे हाथों की रेखाएं हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में गहन जानकारी देती हैं। उन्होंने कहा, “हर रेखा कुछ कहती है — क्या हुआ, कैसे हुआ और आगे क्या हो सकता है। यह विज्ञान आत्म-ज्ञान और भविष्य की दिशा तय करने में बेहद मददगार है।”

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के न्यायिक सदस्य, माननीय जस्टिस सुधीर अग्रवाल। उन्होंने भी हस्तरेखा शास्त्र के प्रति रुचि दिखाते हुए इसे भारतीय परंपरा और विज्ञान का अद्भुत संगम बताया।
पामिस्ट्री डे न केवल एक विद्या को सम्मान देने का अवसर बना, बल्कि उसने आत्म-विश्लेषण और वैदिक विज्ञान की उपयोगिता को भी समाज के सामने मजबूती से प्रस्तुत किया।