
दिल्ली सरकार ने बीते 100 दिनों में जिस संकल्प और समर्पण के साथ काम किया, उसने राजधानी के गरीबों और मध्यम वर्ग के जीवन में उम्मीद की किरण जगा दी है। गृह, ऊर्जा, शिक्षा एवं शहरी विकास मंत्री श्री आशीष सूद ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह सरकार खोखले वादों में नहीं, ज़मीनी बदलावों में यक़ीन रखती है।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत वर्षों से खाली पड़े मकानों को 43 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है, ताकि कोई भी गरीब परिवार बेघर न रहे। साथ ही DUSIB को ₹700 करोड़ का ऐतिहासिक बजट देकर झुग्गीवासियों के जीवन में बदलाव लाने की दिशा में ठोस पहल की गई है। सूद ने स्पष्ट किया कि दिल्ली में किसी भी झुग्गी को नहीं तोड़ा जाएगा और पुनर्वास को प्राथमिकता दी जाएगी।
शिक्षा क्षेत्र में भी दिल्ली सरकार ने क्रांतिकारी कदम उठाए हैं। 75 आधुनिक ‘सीएम श्री स्कूलों’ की स्थापना, डिजिटल लाइब्रेरी, लैपटॉप वितरण और विदेशी भाषाओं की भाषा लैब ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा दी है। निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए ‘दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी बिल’ लाया गया है, जिससे हजारों अभिभावकों को राहत मिली है।
ऊर्जा क्षेत्र में प्रधानमंत्री सूर्या घर योजना के तहत सोलर सब्सिडी को ₹30,000 तक बढ़ाया गया है। वहीं बिजली आपूर्ति की स्थिति में भी सुधार दर्ज हुआ है। कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए फॉरेंसिक जांच को अनिवार्य किया गया है और 100 नए फायर टेंडर तैनात किए जा रहे हैं।
श्री सूद ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ नेता अफवाहों के ज़रिए सरकार के प्रयासों को कमजोर करना चाहते हैं, लेकिन जनता का विश्वास ही सरकार की ताकत है। उन्होंने कहा कि अंत्योदय और गरीब कल्याण सिर्फ नारा नहीं, बल्कि सरकार की कार्यशैली का आधार है।
उन्होंने भरोसा जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली जल्द ही एक आदर्श और समावेशी शहर के रूप में उभरेगी।