
दिल्ली की आउटर नॉर्थ जिले की साइबर क्राइम पुलिस ने एक बड़े साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो पूरे देश में फिशिंग के जरिए लोगों को ठग रहा था। पुलिस ने तीन ठगों को गिरफ्तार कर इस संगठित साइबर फ्रॉड सिंडिकेट को ध्वस्त कर दिया। यह गिरोह फर्जी वेबसाइट और फिशिंग लिंक बनाकर लोगों की संवेदनशील जानकारी चुराकर धोखाधड़ी करता था।
यह ठग गिरोह प्रतिष्ठित बैंकों की नकली वेबसाइट बनाकर लोगों को अपने जाल में फंसाता था। फोन कॉल और आकर्षक ऑफर्स के जरिए वे लोगों को फिशिंग लिंक पर क्लिक करने के लिए मजबूर करते थे, जिससे उनकी गोपनीय जानकारी हाथ लग जाती थी। इस ठगी को अंजाम देने के लिए आरोपी रिमोट डेस्कटॉप प्रोटोकॉल (RDP) का इस्तेमाल कर अपनी लोकेशन छिपाते थे और फर्जी वेबसाइट होस्ट करने के लिए अलग-अलग प्लेटफॉर्म खरीदते थे। अब तक 500 से ज्यादा शिकायतें इस गिरोह से जुड़ी पाई गई हैं, जिनका पता गृह मंत्रालय के ‘समन्वय’ पोर्टल के जरिए चला।
इस मामले की शुरुआत एक शिकायत से हुई, जिसमें दिल्ली के सिरासपुर के रहने वाले हरीकेश कुमार यादव ने ₹21,400 की साइबर धोखाधड़ी की सूचना दी थी। उन्हें आईसीआईसीआई बैंक का क्रेडिट कार्ड देने का लालच देकर एक फिशिंग लिंक भेजा गया था, जिससे उनकी ऐक्सिस बैंक क्रेडिट कार्ड की जानकारी लीक हो गई और धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया।
पुलिस ने जब इस मामले की जांच की तो पूरे साइबर ठग गिरोह का खुलासा हुआ। इंस्पेक्टर रमन कुमार सिंह की अगुवाई में एक टीम बनाई गई, जिसने दिल्ली के विभिन्न इलाकों में छापेमारी कर आरोपियों—जयदीप, अजय और राकेश—को गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन पुख्ता सबूतों के आधार पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
इन ठगों का तरीका बेहद शातिराना था। वे खुद को बैंक अधिकारी बताकर लोगों को क्रेडिट कार्ड दिलाने के नाम पर फिशिंग लिंक भेजते थे। जब कोई व्यक्ति इस लिंक पर अपनी बैंकिंग जानकारी भरता था, तो उनकी संवेदनशील जानकारी सीधे इन ठगों के लैपटॉप पर सेव हो जाती थी। बाद में, ये ठग एक ऐप डाउनलोड करने के लिए कहकर पीड़ितों के मोबाइल फोन को कंट्रोल कर लेते और उनके बैंक खातों से पैसे उड़ा लेते थे।
गिरफ्तार आरोपियों में जयदीप कुमार वेब डेवलपमेंट और साइबर सिक्योरिटी में प्रशिक्षित था और पहले भी ऐसे मामलों में संलिप्त रह चुका है। अजय, जो महज 9वीं कक्षा तक पढ़ा था, डिजिटल फ्रॉड में माहिर था, जबकि राकेश, जो 12वीं पास था, ठगी करने के लिए अपनी संवाद कला का इस्तेमाल करता था।
पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 11 मोबाइल फोन और एक लैपटॉप बरामद किया है, जिसमें ठगी से जुड़े कई डिजिटल सबूत मिले हैं। इस मामले का मास्टरमाइंड अब भी फरार है, जो पहले कई संगीन अपराधों में शामिल रह चुका है और अब साइबर ठगी को आसान और फायदेमंद समझकर इसमें उतर आया। पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई है।
डीसीपी आउटर नॉर्थ, निधान वलसन ने कहा कि साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए लगातार अभियान जारी रहेगा और आम जनता को भी सतर्क रहने की जरूरत है।