विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश-1 ने 29 नवंबर 2024 को बैंक धोखाधड़ी मामले में आरोपी श्री सुरेश चंद्र दुबे, तत्कालीन पैनल वकील, को 3 साल की कैद और 40,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
यह मामला सीबीआई द्वारा 9 जून 2009 को दर्ज किया गया था। मामला इलाहाबाद बैंक, वाराणसी के जोनल ऑफिस के तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक (AGM) की लिखित शिकायत पर आधारित था। शिकायत में इलाहाबाद बैंक के तत्कालीन प्रबंधक श्री संजीव मालवीय और अन्य के खिलाफ आरोप लगाए गए थे।
आरोप था कि संजीव मालवीय ने श्री प्रमोद कुमार सिंह और श्रीमती गीता सिंह को लगभग 6 लाख रुपये का आवासीय ऋण फर्जी दस्तावेजों और पैनल वकील सुरेश चंद्र दुबे की झूठी रिपोर्ट के आधार पर मंजूर किया। इस धोखाधड़ी के कारण बैंक को भारी नुकसान हुआ।
सीबीआई ने जांच पूरी करने के बाद आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया। 26 फरवरी 2013 को संजीव मालवीय, प्रमोद कुमार सिंह और गीता सिंह के खिलाफ आरोप तय किए गए। हालांकि, सुरेश चंद्र दुबे के खिलाफ ट्रायल को उच्च न्यायालय द्वारा स्थगित कर दिया गया था, और उनकी फाइल अलग कर दी गई थी।
अन्य आरोपियों को 2019 और 2020 में दोषी ठहराया गया था और उन्हें सजा सुनाई गई थी
सीबीआई अदालत ने 23 गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर सुरेश चंद्र दुबे को दोषी पाया और उन्हें 3 साल की सजा के साथ 40,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
यह फैसला बैंकिंग क्षेत्र में धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े पर सख्त कानूनी कार्रवाई का स्पष्ट संदेश है। न्यायालय ने यह सुनिश्चित किया है कि किसी भी जिम्मेदार अधिकारी द्वारा की गई लापरवाही या गड़बड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।