
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने दिया आत्मिक उन्नति का संदेश
पिंपरी, पुणे, 27 जनवरी 2025: महाराष्ट्र के पिंपरी में आयोजित 58वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का तीन दिवसीय आयोजन भक्ति, सेवा और सत्संग के दिव्य संदेशों के साथ सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। समापन दिवस पर सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने लाखों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा, “जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति में निहित है। परमात्मा के साथ जुड़कर जीने से ही जीवन में सच्ची शांति और संतोष पाया जा सकता है।”
भक्ति और कर्तव्य का संतुलन जरूरी
सतगुरु माता जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि भक्ति और सामाजिक कर्तव्यों में संतुलन बनाना बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने समझाया कि जैसे पक्षी को उड़ने के लिए दोनों पंखों की आवश्यकता होती है, वैसे ही जीवन में भक्ति और जिम्मेदारियों का निर्वाह साथ-साथ होना चाहिए।
कवि दरबार और प्रदर्शनी बनीं आकर्षण का केंद्र
समागम में ‘विस्तार – असीम की ओर’ विषय पर बहुभाषी कवि दरबार का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से आए कवियों ने अपने काव्य पाठ से मिशन के दिव्य संदेश को प्रसारित किया। इसके साथ ही, समागम में निरंकारी प्रदर्शनी भी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रही, जिसमें मिशन के इतिहास, समाजसेवा और ‘प्रोजेक्ट वननेस’ जैसे उपक्रमों की जानकारी दी गई।
स्वास्थ्य सुविधाओं की अनूठी पहल
समागम स्थल पर काइरोप्रैक्टिक शिविर और 60 बिस्तरों का अस्थायी अस्पताल स्थापित किया गया। 18 देशों से आए डॉक्टरों की टीम ने हजारों श्रद्धालुओं को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा प्रदान की। साथ ही, होम्योपैथी डिस्पेंसरी और आईसीयू की सुविधाएं भी उपलब्ध थीं।
निःशुल्क लंगर में सेवा का भाव
तीन स्थानों पर चल रहे निःशुल्क लंगर में 70,000 श्रद्धालुओं को एक साथ भोजन कराया गया। साथ ही, रियायती दरों पर चाय, अल्पाहार और मिनरल वॉटर की व्यवस्था भी की गई।
सतगुरु माता जी ने सभी को भक्ति और सेवा के मार्ग पर चलते हुए जीवन को सार्थक बनाने का संदेश दिया। समागम ने न केवल भक्ति, बल्कि सेवा और सामूहिकता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया।