कोलकाता, 7 नवंबर। “भारत को भारत की नजर से देखिए”—यह संदेश दिया विश्वभारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन के प्रो. विप्लव लोहो चौधरी ने, जो भारतीय संचार परंपरा के मर्मज्ञ और भारतीय संचार कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कोलकाता के भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की संस्कृति और संचार प्रणाली को भारतीय दृष्टिकोण से समझने की जरूरत है।
संगोष्ठी का विषय “भारतवर्षीय संचार परंपरा: प्रागैतिहासिक काल से नई सहस्राब्दी तक” था, जिसमें प्रो. चौधरी ने वैदिक काल से लेकर आज तक की संचार प्रणाली की अनूठी धारावाहिकता का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि भीमबेटका की चित्रकृतियों और सिंधु घाटी सभ्यता में संचार का शुरुआती रूप देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि आज के समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग सकारात्मक रूप से किया जाना चाहिए ताकि हमारी प्राचीन और पवित्र संचार परंपरा सुरक्षित रहे और इसका लाभ नई पीढ़ी तक पहुंचे।
प्रो. चौधरी ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि भारतीय संचार परंपरा को समझने और उसे आधुनिक शिक्षा में स्थान देने की आवश्यकता है। उन्होंने इस विचार पर बल दिया कि पाठ्यक्रमों में हमारी सांस्कृतिक धरोहर को शामिल करना बेहद महत्वपूर्ण है, जिससे युवा पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ सके और इस ज्ञान को विश्व स्तर पर साझा कर सके।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में केजी सुरेश, वीके रवि, कलिंग सेनाभीरत्ने, केवी नागराज, उपेन्द्र पाढ़ी, शुभब्रत गांगुली और देवजानी गांगुली जैसे विद्वानों ने भी अपने विचार साझा किए। इस आयोजन में देश-विदेश से 30 से अधिक विद्वान और शताधिक शोधार्थी भाग ले रहे हैं।