
नई दिल्ली, 10 मार्च 2025 – दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने महिला सशक्तिकरण को केवल एक नारा नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी करार दिया और इस दिशा में ठोस प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।
अपने संबोधन में श्री गुप्ता ने कहा कि किसी भी देश की प्रगति महिलाओं के बिना संभव नहीं है। महिलाओं को समाज की रीढ़ बताते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सक्रिय भागीदारी के बिना कोई भी राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत नहीं हो सकता। इस वर्ष की थीम “Accelerate Action” का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि लिंग समानता को तेजी से बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा, रोजगार और नेतृत्व के अवसरों में वृद्धि के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे।

उन्होंने कहा कि भारतीय महिलाएँ अब केवल घरों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे शिक्षा, विज्ञान, खेल, उद्यमिता, राजनीति और रक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। सरकारी योजनाओं और समाज में बढ़ती जागरूकता के कारण महिलाओं की स्थिति में सकारात्मक बदलाव आया है। पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत अब लिंग समानता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने आंकड़ों के माध्यम से यह दर्शाया कि 2014 में लिंगानुपात 918 था, जो 2022 में बढ़कर 933 हो गया है। श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी 2017-18 में 23% थी, जो 2023-24 में बढ़कर 42% हो गई है। भारतीय सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों की संख्या 2015 की तुलना में 3.5 गुना बढ़ी है। 48% स्टार्टअप्स में कम से कम एक महिला निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, और भारत में लगभग 50% STEM स्नातक महिलाएँ हैं, जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक हैं। ये आँकड़े स्पष्ट करते हैं कि महिलाएँ हर क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही हैं।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए ठोस कदमों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न योजनाओं से महिलाओं को सीधे लाभ मिल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति मजबूत हुई है। प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत 56% बैंक खाते महिलाओं के नाम पर हैं, जबकि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत 70% ऋण महिला उद्यमियों को दिए गए हैं। उज्ज्वला योजना के माध्यम से 10 करोड़ से अधिक महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान किए गए हैं, जिससे उनके रसोईघर धुएं से मुक्त हुए हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 4 करोड़ से अधिक घर महिलाओं को एकल या संयुक्त स्वामित्व में दिए गए हैं। इसके अलावा, महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने से राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को भी बढ़ावा मिला है।
अपने संबोधन के अंत में श्री गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि केवल समान अधिकार देना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि महिलाओं को ऐसे अवसर भी प्रदान करने होंगे जहाँ वे अपने वास्तविक सामर्थ्य को प्राप्त कर सकें। बेटियों को बेहतर शिक्षा देने, महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने और कार्यस्थलों पर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक हैं। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे अपने परिवार, समाज और कार्यस्थलों में महिलाओं को वह सम्मान दें, जिसकी वे हकदार हैं।
उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण केवल एक दिन का विषय नहीं है, बल्कि यह एक निरंतर प्रयास की माँग करता है। अगर हमें सच में एक विकसित भारत का सपना साकार करना है, तो हमें अपनी सोच बदलनी होगी और यह स्वीकार करना होगा कि महिलाएँ किसी भी दृष्टिकोण से पुरुषों से कम नहीं हैं।