नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने यमुना नदी प्रदूषण मामले में दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पर पर्यावरणीय क्षति और जल प्रदूषण के लिए ₹25.22 करोड़ का जुर्माना लगाया है। दोनों निकायों पर “प्रदूषक भुगतान सिद्धांत” (Polluter Pays Principle) के तहत यह दंड लगाया गया है।
- डीजेबी की लापरवाही:
जल अधिनियम, 1974 के तहत सीवेज के गंदे पानी को यमुना में जाने से रोकने में नाकामी। सीवेज और बारिश के पानी की निकासी को अलग करने में भी असफलता। - एमसीडी की भूमिका:
नालों को कंक्रीट से ढकना और सीवर लाइनों को बारिश के पानी के नालों से जोड़ना, जिससे नालों से जहरीली गैसें निकल रही हैं।
यह राशि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को सौंपी जाएगी, जो इसे यमुना प्रदूषण कम करने और पर्यावरणीय क्षति की मरम्मत के लिए उपयोग करेगा।
एनजीटी के इस फैसले ने पर्यावरण सुरक्षा में प्रशासनिक लापरवाही और यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने में हो रही असफलता को उजागर किया है।