
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पत्रकार के एन गुप्ता की पुस्तक इंक सैफरन और फ्रीडम का विमोचन : नई दिल्ली स्थित अंबेडकर इंटरनेशनल के भीम ऑडिटोरियम में श्री केदार नाथ गुप्ता जी के द्वारा लिखित पुस्तक इंक सैफरन एंड फ्रीडम पुस्तक विमोचन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कृष्ण गोपाल, सह सरकार्यवाह, आर एस एस, अति विशिष्ट अतिथि प्रेम प्रकाश, चेयरमैन ए एन आई, प्रभात प्रकाशन के अध्यक्ष प्रभात कुमार, तथा वैध, पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन के साथ ही सैकड़ो पत्रकारों के बीच में भव्य समारोह का आयोजन किया गया।इस कार्यक्रम का संचालन मशहूर पत्रकार और श्री गुप्ता की बेटी मनोरंजन ने सफलता पूर्वक किया। श्री गुप्ता के परिवार से उनकी धर्मपत्नी शमा गुप्ता, मुनीस गुप्ता, तथा अन्य सदस्य भी शामिल हुए। इस अवसर पर प्रेम प्रकाश जी ने कहा की दिल्ली के बारे में उर्दू में लिखा है, लेकिन इस किताब में इंग्लिश में बड़े ही रोचक जानकारी दी गई है।पुरानी दिल्ली के बारे में जानकारी है। आजादी के बाद जब आरएसएस बैन होगया था तो भी राष्ट्रीयता का बोध करने में कुछ पत्रकारों ने अहम भूमिका निभाई थी। केदार नाथ जी भी ऐसे क्रांतिकारी पत्रकार रहें है जिसने आपातकाल में भी अपनी लेखनी नहीं रोकी। मुल्क के पास उन दिनों पैसे कहा थे। ये पुस्तक दिल्ली, पत्रकारिता और संघ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देती है। अपने वक्तव्य में के एन गुप्ता ने कहा की
मुझे लिखने के लिए मनमोहन वैद जी मित्र और परिवार के सदस्यों ने प्रेरित किया। मैंने मदरलैंड के साथ बहुत काम किया। मैं दिल्ली वाला हूँ लेकिन मेरा परिवार आस पास के जिलों से है!
एरिक सोलहम, पूर्व मंत्री नॉर्वे, एडन वाइट, एथिकल जर्नलिज्म नेटवर्क , सेक्रेटरी जनरल आई एफ़ जे आदि मित्रों ने काफ़ी प्रेरित किया।मुख्य अतिथि कृष्ण गोपाल जी ने कहा की श्री गुप्ता दिल्ली में अपना लंबा अनुभव बिताया है। इस पुस्तक में उन्होंने अपने बचपन बलिमारान और संघर्ष के बारे में लिखा है। इंक का अर्थ पत्रकारिता, सफ़रोंन राष्ट्रीयता और फ्रीडम। पत्रकारिता एक कठिन कार्य है। जलियाँवाला बाग़ कांड के बाद कोई भी वहाँ नहीं गया, बाद में पंडित मदन मोहन मालवीय वहा गाए और पेड़ के नीचे चौकी पर ऑफिस लगाकर लोगो से बातें कर सारी बातों को इकट्ठा कर के उन्हें पार्लियामेंट में प्रस्तुत किया और बाद में ब्रिटिश लोगों ने रिग्रेट किया। बहुत ही साहसिक कार्य है। केदार नाथ जी ने अपने पुस्तक में अनेकों विषयों को लिखा है। गांधी जी की हत्या के विषय पर संघ पर बैन लगा था, लेकिन उसके पहले से ही कांग्रेस के लोग संघ को ख़त्म करने की बात किया करते थे। देश का वातावरण बहुत ही ख़तरनाक था। भारत के विभाजन के समय इतनी हत्याओं , लूट, बलात्कार, इतना विस्थापन का जिमेदार आख़िर कौन था। अगर पाकिस्तान आपने ले लिया तो अब तो शांति से रहो। आपस में विवाद क्यों करते हो। उर्दू और बंगला के कारण पाकिस्तान और बांग्लादेश का विभाजन हुआ। भारत ताकतवर होने के बाद भी कभी किसी को ग़ुलाम नहीं बनाया। लेकिन बर्बर लोगों ने कितने मजबूत सभ्यता को समाप्त कर देते है। इस लिए हम सब को एक होकर रहना चाहिए। कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम् के गायन के साथ ही हुआ।
दिल्ली से ब्यूरो चीफ विजय गौड़ की विशेष रिपोर्ट