
दिल्ली विधानसभा ने अपने आठवें कार्यकाल के पहले 100 दिनों में न सिर्फ काम का एक नया मानदंड स्थापित किया, बल्कि लोकतंत्र को नए सांचे में ढालते हुए एक उदाहरण भी पेश किया। “विरासत से विकास की ओर” की थीम पर आधारित इस ऐतिहासिक चरण को रिपोर्ट कार्ड के रूप में सार्वजनिक किया गया, जिसमें बीते 100 दिनों की उपलब्धियों, बदलावों और जनोन्मुखी पहलों का सार है।
इन 100 दिनों में विधानसभा पूरी तरह पेपरलेस हुई। नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन (NeVA) के तहत सभी कार्य ऑनलाइन हुए। 500 किलोवॉट का सोलर प्लांट लगाने की नींव रखी गई, जिससे साफ ऊर्जा की दिशा में अहम कदम बढ़ा। सदन की लाइब्रेरी को डिजिटल नॉलेज हब में बदला गया, और विधानसभा की इमारत की विरासत को सहेजने के लिए संरक्षण योजना लागू की गई।
सदन में अनुशासन और गरिमा की मिसाल बनी। केंद्रीय मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता के संतुलित नेतृत्व में सदन की कार्यवाही 100 दिनों तक बिना किसी अवरोध के चली, जो बीते वर्षों में दुर्लभ रहा है।
जनप्रतिनिधियों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए ‘बेस्ट विधायक पुरस्कार’ की शुरुआत की गई। नए विधायकों के लिए ओरिएंटेशन सत्र आयोजित हुए। विधानसभा ने हिन्दू नववर्ष और महावीर जयंती जैसे पर्व मनाकर सांस्कृतिक एकता को बल दिया। डॉ. भीमराव अंबेडकर और शहीद भगत सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित कर लोकतांत्रिक मूल्यों को पुनः स्थापित किया गया।
इस अवधि में दिल्ली विधानसभा ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संवाद को भी बढ़ावा दिया। ओडिशा, झारखंड और इथियोपिया से आए प्रतिनिधिमंडलों से विचार-विमर्श हुआ। युवाओं से सीधे संवाद की पहल में “विकसित भारत यूथ पार्लियामेंट” और “अंतरराष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस” जैसे आयोजनों ने विशेष भूमिका निभाई।
कुल मिलाकर, ये 100 दिन न केवल संसदीय कार्यों की उपलब्धियों का प्रतीक हैं, बल्कि यह प्रमाण भी हैं कि जब नेतृत्व दूरदर्शी हो और दृष्टिकोण समावेशी, तो सदन जनहित, नवाचार और परंपरा—तीनों का आदर्श संगम बन सकता है।