मरघट सी सुनी रातों में, बस जीवन के अंत मिलेंगे/
जीवन के कोलाहल में ही, रस्ते तुझे अनंत मिलेंगे//
जनम-जनम जैसी बातों से ,दिल बहलाना है-बहलाओ/
खेल है सारा तकदीरों का, मन समझाना है-समझाओ/
जीवन से जो करें पलायन,कभी ना तेरे साथ चलेंगे /
जीवन के कोलाहल में ही, रस्ते तुझे अनंत मिलेंगे//
अगर भागना है जीवन से, वीरानो की कमी नहीं है/
नहीं बचा गर कोई सपना, और पाँवों में ज़मीं नहीं है/
सच से आँख चुराने वाले,दर्द के मोती नहीं चुनेंगे/
जीवन के कोलाहल में ही, रस्ते तुझे अनंत मिलेंगे//
सपनों को छूने का मन हो, बस बेमानी अहसास नहीं,
जीवन को जीने का मन हो,बस बेमानी विश्वास नहीं/
आशा और निराशा तो,दोनो जीवन पर्यन्त चलेंगे/
जीवन के कोलाहल में ही, रस्ते तुझे अनंत मिलेंगे//
शोर शराबे से भागा तो वीरानों