दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की इंटर स्टेट सेल (ISC) ने एक पैरोल जम्पर और 10 साल से फरार घोषित अपराधी को बिहार के हाजीपुर से गिरफ्तार किया है। यह आरोपी, जिसका नाम सुभाष कुमार (40), निवासी वैशाली, बिहार है, 2014 से फरार था और उस पर ₹15,000 का इनाम घोषित किया गया था।
सुभाष कुमार को 2013 में NDPS एक्ट के तहत दोषी ठहराया गया था। उसे दिल्ली के खजूरी खास पुलिस स्टेशन के तहत एक मामले में 4 साल की सजा सुनाई गई थी। 2011 में सुभाष को 12 किलो गांजे के साथ गिरफ्तार किया गया था, जब पुलिस को उसकी तस्करी की जानकारी मिली थी। पुलिस की छापेमारी में सुभाष को सफेद प्लास्टिक बैग के साथ पकड़ा गया था जिसमें गांजा मिला था।
सुभाष को 2013 में दिल्ली हाई कोर्ट से 6 सप्ताह की पैरोल मिली थी, लेकिन उसने पैरोल खत्म होने के बाद आत्मसमर्पण नहीं किया। 2014 में जेल में आत्मसमर्पण न करने पर कोर्ट ने उसे ‘प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर’ घोषित कर दिया और दिल्ली पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर इनाम की घोषणा की।
क्राइम ब्रांच की टीम ने कई महीनों तक जानकारी एकत्रित की और गुप्त सूचनाओं के आधार पर सुभाष का पता लगाया। टीम ने उसकी गतिविधियों पर नज़र रखी और पाया कि वह हाजीपुर, बिहार में रहकर दस्तावेज़ों की प्रमाणिकता, आधार कार्ड और जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों का काम कर रहा था। इसके बाद पुलिस टीम, जिसमें एएसआई रतन लाल, हेड कांस्टेबल नेमी चंद, रामहरी, विकास और सिपाही प्रवीण शामिल थे, ने हाजीपुर में छापेमारी कर सुभाष को गिरफ्तार किया। इस पूरे ऑपरेशन की निगरानी इंस्पेक्टर शिवराज सिंह बिष्ट और एसीपी रमेश लांबा ने की।
पूछताछ के दौरान सुभाष ने स्वीकार किया कि उसने 2014 में पैरोल खत्म होने के बाद जानबूझकर आत्मसमर्पण नहीं किया था और बिहार के विभिन्न इलाकों में अपने रिश्तेदारों के यहां छिपकर रहता रहा। वह अपनी पहचान छुपाने के लिए गांव से हाजीपुर शहर में आकर रहने लगा और छोटे-मोटे दस्तावेज़ी कामों से अपनी जीविका चलाने लगा।
पुलिस ने अब सुभाष को न्यायालय में पेश कर दिया है और उसके खिलाफ आगे की कार्रवाई की जा रही है।