नई दिल्ली, 30 अक्तूबर 2025।
राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर दिल्ली विधानसभा परिसर में आज एक प्रेरणादायक संगोष्ठी और प्रदर्शनी का आयोजन हुआ, जिसमें लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पूरे सम्मान और उत्साह के साथ मनाई गई। इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान, विधानसभा अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता, उपाध्यक्ष श्री मोहन सिंह बिष्ट, दिल्ली सरकार के मंत्री श्री कपिल मिश्रा, तथा सवराज आश्रम (बड़ौली, गुजरात) की प्रशासक सुश्री निरंजनाबेन कलारथी सहित कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत सरदार पटेल और उनके भाई श्री विठ्ठलभाई पटेल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने से हुई। इसके बाद राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपने संबोधन में कहा कि “एकता ईंटों और पत्थरों से नहीं, बल्कि भावनाओं और विचारों से बनती है।” उन्होंने कहा कि सच्ची एकता किसी शक्ति से नहीं, बल्कि राष्ट्र की सामूहिक चेतना से उत्पन्न होती है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प को साकार करने के लिए, उन्होंने सरदार पटेल के आदर्शों को याद करने और आत्मसात करने का आह्वान किया।
राज्यपाल ने आदि शंकराचार्य और सरदार पटेल के योगदान की तुलना करते हुए कहा कि जिस प्रकार शंकराचार्य ने भारत की आध्यात्मिक एकता स्थापित की, उसी प्रकार पटेल ने अपनी दूरदर्शिता और साहस से राजनीतिक एकता को संभव बनाया। उन्होंने सरदार पटेल को “भारत का बिस्मार्क” बताते हुए कहा कि उनका कार्य न केवल ऐतिहासिक था, बल्कि विश्व इतिहास में एक अद्वितीय उदाहरण भी है।

विधानसभा अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि “देश की शक्ति उसकी सेना या संपत्ति में नहीं, बल्कि उसके नागरिकों के दिलों की एकता और उनके उद्देश्य की एकरूपता में निहित है।” उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने न केवल 565 रियासतों को एक धागे में पिरोया, बल्कि मजबूत प्रशासनिक व्यवस्था की नींव भी रखी, जिसके रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) आज भी कार्यरत है। गुप्ता ने इस अवसर पर सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे पटेल के अनुशासन, सत्यनिष्ठा और सेवा भाव के आदर्शों को अपनाकर राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत करें।
सुश्री निरंजनाबेन कलारथी ने कहा कि यह विश्व के लिए गर्व की बात है कि सरदार पटेल ने 565 में से 562 रियासतों का एकीकरण बिना रक्तपात के किया। उन्होंने बताया कि सरदार साहब ने संवाद, स्नेह और दूरदर्शिता के बल पर कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक एक भारत का निर्माण किया। उन्होंने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि सरदार पटेल एक ओर जहाँ लौह पुरुष थे, वहीं दूसरी ओर बेहद विनम्र और करुणामयी भी थे।
दिल्ली के कैबिनेट मंत्री श्री कपिल मिश्रा ने कहा कि सरदार पटेल भारत की शक्ति, अखंडता और संकल्प के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के माध्यम से सरदार पटेल के विचारों को न केवल अमर किया, बल्कि विश्व मंच पर भारत की एकता का प्रतीक स्थापित किया।” मिश्रा ने कहा कि जब तक भारत की भूमि पर सरदार पटेल जैसे एक भी सपूत रहेंगे, तब तक कोई शक्ति इस देश को विभाजित नहीं कर सकती।
इस अवसर पर विधानसभा परिसर में “ सरदार पटेल एंड द जर्नी ऑफ इंडिया’s यूनिफिकेशन” शीर्षक से विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। इस प्रदर्शनी में सरदार पटेल के जीवन से जुड़ी दुर्लभ ऐतिहासिक तस्वीरें, डाक टिकट, स्मारक सिक्के और महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रदर्शित किए गए, जिनमें महात्मा गांधी, पंडित नेहरू और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ उनके ऐतिहासिक क्षण भी शामिल थे।
कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों ने सरदार वल्लभभाई पटेल के आदर्शों — एकता, अखंडता और सेवा भावना — को जीवन में अपनाने की शपथ ली। दिल्ली विधानसभा परिसर “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के जयघोष से गूंज उठा, और यह संकल्प लिया गया कि सरदार पटेल का एकता संदेश आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।







