दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने आईटीबीपी (इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस) कांस्टेबल भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में कोलकाता स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइकोमेट्री (IIP) के तीन डायरेक्टर, एक कंसल्टेंट और एक प्रिंटर शामिल हैं। इस घोटाले के खुलासे से भर्ती प्रक्रिया में लगे भ्रष्टाचार और मिलीभगत की परतें खुल गई हैं।
आईटीबीपी ने 10 जनवरी 2021 को देशभर के 13 शहरों के 81 केंद्रों पर कांस्टेबल (ट्रेड्समैन) भर्ती की लिखित परीक्षा आयोजित की थी। इस परीक्षा में 46,174 उम्मीदवार शामिल हुए थे। लेकिन परीक्षा शुरू होने से पहले ही इसका प्रश्नपत्र व्हाट्सएप पर वायरल हो गया। परीक्षा अधिकारियों ने जब असली पेपर से उसकी तुलना की, तो दोनों एक जैसे निकले। आंतरिक जांच के बाद यह स्पष्ट हुआ कि पेपर लीक हुआ है और मामला दर्ज किया गया।
जांच के दौरान यह सामने आया कि आईटीबीपी ने परीक्षा से जुड़ी जिम्मेदारी आईआईपी को सौंपी थी। इस एजेंसी को प्रश्नपत्र तैयार करने, प्रिंटिंग, पैकिंग, ओएमआर शीट्स स्कैनिंग और पूरे प्रोसेस की गोपनीयता बनाए रखने का काम दिया गया था। लेकिन संस्थान के डायरेक्टर और सहयोगियों ने संवेदनशील जानकारी लीक कर दी।
क्राइम ब्रांच ने लंबे समय तक जांच और दस्तावेजों की छानबीन की। कर्मचारियों से पूछताछ में डायरेक्टर अमिताव राय और उनके साथी मुख्य दोषी पाए गए। इसके बाद इंस्पेक्टर उमेश सती और उनकी टीम ने कोलकाता में दबिश देकर अमिताव राय, शुभेंदु कुमार पॉल और जयदीप गोस्वामी को गिरफ्तार किया। पूछताछ में तीनों आरोपियों ने सहयोग नहीं किया और जांच भटकाने की कोशिश की।
इसके बाद आरोपियों की निशानदेही पर कंसल्टेंट रोहित राज और प्रिंटर धर्मेंद्र को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। दोनों ने भी जांच में सहयोग नहीं किया। पुलिस का कहना है कि इस रैकेट में और भी लोग शामिल हो सकते हैं, जिनकी तलाश जारी है।
गिरफ्तार डायरेक्टर्स उच्च शिक्षित हैं और कई वर्षों से आईआईपी से जुड़े हुए थे। वहीं, रोहित राज और धर्मेंद्र दिल्ली में रहकर परीक्षा से जुड़ी प्रिंटिंग और कंसल्टेंसी का काम संभालते थे।
क्राइम ब्रांच के मुताबिक, इस पेपर लीक कांड ने हजारों अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया। आगे की जांच में यह पता लगाया जाएगा कि लीक से किसे फायदा हुआ और और किन लोगों की इसमें भूमिका रही







